अब दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालयों के विद्यार्थियों को मिलने लगी है बेहतर शिक्षा
मिडिल स्कूलों में हुई तीन शिक्षकों की उपलब्धता
👉अशोक कुमार श्रीवास की खास रिपोर्ट 6261129010
कोरबा (एक्सप्रेस न्यूज़ भारत)/ राज्य शासन के दिशा निर्देशों के तहत कोरबा जिले में अतिशेष शिक्षको के काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूर्ण होने और विद्यालयों में शिक्षकों के ज्वॉइनिंग के पश्चात स्कूलों की तस्वीर बदलने लगी है। पहले एकलशिक्षकीय विद्यालयों में जहां विद्यार्थियों का कीमती समय ऐसे ही गुजर जाता था, अब, उन विद्यालयों में एक से अधिक शिक्षकों की व्यवस्था हो जाने के बाद कोई भी कालखण्ड खाली नहीं जाता। युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया के पूरा होने के साथ ही जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में मौजूद शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को नए शिक्षक मिल गए, वहीं इन क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षा की गारण्टी सुनिश्चित हो गई है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा, पाली, कोरबा ब्लॉक के दूरस्थ क्षेत्रों के अनेक विद्यालयों के बच्चों को सीधा लाभ मिल रहा है।
शासन के दिशा निर्देशों के तहत जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा प्राथमिक शालाओं में 305 अतिशेष प्रधानपाठकों और सहायक शिक्षको को जिसमें 14 शिक्षकविहीन और 273 एकलशिक्षकीय विद्यालय भी शामिल है, जहाँ अतिशेष शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अतिशेष शिक्षको के समायोजन के पश्चात प्राथमिक शाला में अब कम से कम दो शिक्षक हो गए हैं। इसी तरह माध्यमिक शाला अंतर्गत 4 प्रधानपाठकों और 147 शिक्षकों को विद्यालयों में पदस्थ किया गया है। काउंसिलिंग के पश्चात 20 एकलशिक्षकीय और 4 शिक्षकविहीन और 62 द्विशिक्षकीय मिडिल स्कूलों में भी अब कम से कम तीन शिक्षक पदस्थ हो गए हैं। हाइ और हायर सेकंडरी विद्यालय में 74 अतिशेष व्याख्याताओं को उन विद्यालयों में पदस्थ किया गया है, जहाँ गणित, रसायन, भौतिकी, हिंदी, अंग्रेजी, कामर्स विषयों के शिक्षकों की कमी थी। अतिशेष शिक्षको के युक्ति युक्तकरण का लाभ दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों को मिलने के साथ ही अनेक शिक्षकों के लिए भी लाभदायक साबित होने लगा है। इससे पहले कुछ विद्यालय में शिक्षक नहीं होने से आसपास के किसी विद्यालय के शिक्षक को संलग्न कर अध्यापन के लिए भेजा जाता था। उनके ऊपर अधिक संख्या में मौजूद बच्चों को पढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी के साथ ही अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी रहती थी। शिक्षक नहीं होने या कम शिक्षक होने से बच्चों के पालक भी परेशान होते थे। अब ऐसा नहीं है। ऐसे ही कोरबा विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम कदमझेरिया का प्राथमिक शाला है। इस विद्यालय में भले ही विद्यार्थियों की संख्या कम है, लेकिल इस एकलशिक्षकाय विद्यालय में अब दो शिक्षक हो गए है। पहाड़ो और जंगलों के बीच मौजूद इस प्राथमिक शाला में पढ़ाई करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी पहाड़ी कोरवा जनजाति के है। विद्यालय की पहाड़ी कोरवा छात्रा ज्योति, राजेश, जितेश और सुमित्रा ने बताया कि अब हमारे स्कूल में एक शिक्षक के बाद एक शिक्षिका आ गई हैं। अब पहले से ज्यादा पढ़ाई भी हो रही है। पहले हमारे सर एक कमरे में दूसरे कक्षा के विद्यार्थी को पढ़ाते थे तब अन्य कक्षा खाली रह जाता था। अब ऐसा नहीं है। अब स्कूल में नया मैडम के आने से हम लोग को भी अच्छा लगता है।
