क्या सपा की दलित चाल से डगमगाएगी बसपा? अखिलेश की रणनीति से आखिर क्यों है मायावती बेचैन….

समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का नारा देकर समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। उनकी नजर मायावती के आधार वोट दलित पर है।

दलित नेताओं को सपा में शामिल करना

अखिलेश यादव ने मायावती के करीबी रहे नेताओं को सपा में शामिल कराकर दलित वोटर्स पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे दद्दू प्रसाद को अप्रैल के पहले सप्ताह में ही सपा में शामिल कराया गया। इस मौके पर अखिलेश यादव ने खुद दद्दू प्रसाद का पार्टी में स्वागत किया।

दलित वोटर्स पर अखिलेश यादव की रणनीति

अखिलेश यादव ने पीडीए की रणनीति के तहत दलित नेताओं को तरजीह दी है। लोकसभा चुनाव में सपा को दलितों का साथ मिला था। सपा से दलित नेता अवदेश प्रसाद, प्रिया सरोज, पुष्पेंद्र सरोज, नारायणदास अहिरवार, आर के चौधरी, दरोगा प्रसाद सरोज, छोटेलाल और रमाशंकर राजभर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।

मायावती की प्रतिक्रिया

बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव के सियासी कदम का एहसास किया है और अब वह बीजेपी को कम सपा पर ज्यादा हमलावर हैं। मायावती ने ट्वीट कर कहा कि सपा दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने दलितों से सपा के बहकावे में न आने की अपील की है।

बुरे दौर से गुजर रही बसपा

बता दें कि यूपी में मायावती इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं। 2022 के चुनाव में बसपा को एक सीट मिली थी और लोकसभा चुनाव में एक भी सांसद नहीं चुनकर आए। बसपा का वोट प्रतिशत भी घटकर 9.39% हो गया है, जो अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।

रिपोर्ट:- कनक चौहान

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