रविवार को उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को प्रयागराज में रोका गया। वो कौशांबी के एक गांव में कथित दुष्कर्म पीड़िता बच्ची के परिजनों से मिलने जा रहे थे, साथ ही करछना के एक दलित युवक के घर भी जाना था जिसे हाल ही में जिंदा जला दिया गया था। सुबह करीब 11:40 बजे जैसे ही चंद्रशेखर प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे, पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। प्रशासन का कहना था कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया। लेकिन इस खबर के फैलते ही पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया।
करछना में लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया और सड़क जाम कर दी। पुलिस जब हालात संभालने पहुंची, तो भीड़ भड़क उठी। देखते ही देखते पुलिस टीम पर हमला हो गया। गाड़ियों के शीशे टूट गए, कई वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और करीब 15 मोटरसाइकिलों को आग लगा दी गई। इस दौरान चौकी प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। गांव और आस-पास का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। लोग चंद्रशेखर को मिलने की इजाज़त न मिलने से नाराज़ हैं, उनका कहना है कि पीड़ितों की आवाज़ उठाने वालों को रोका जाना सरासर नाइंसाफी है। फिलहाल, पुलिस हालात पर काबू पाने की कोशिश में जुटी है और प्रशासन शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है।

बता दे की चंद्रशेखर आज़ाद जैसे ही प्रयागराज पहुंचे, उन्हें पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर आगे बढ़ने से रोक दिया। जब वो नहीं माने, तो उन्हें सर्किट हाउस लाया गया। वहां उन्होंने अपने समर्थकों के साथ गेट पर ही बैठकर शांतिपूर्ण विरोध शुरू कर दिया। पुलिस अधिकारी उन्हें मनाने की कोशिश करते रहे, लेकिन चंद्रशेखर का कहना था कि जब तक उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलने की इजाजत नहीं दी जाएगी, वो वहां से नहीं हटेंगे। जैसे ही यह खबर करछना में मौजूद कार्यकर्ताओं तक पहुंची, माहौल गर्म हो गया। भड़ेवरा बाजार के पास सड़क जाम कर दी गई। जब पुलिसकर्मी मौके पर जाम हटाने पहुंचे, तो हालात बिगड़ गए। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने डायल 112 की गाड़ी को पलट दिया, पथराव किया और आसपास खड़ी बाइकों और अन्य गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस को हालात को देखते हुए पीछे हटना पड़ा।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान चंद्रशेखर सोशल मीडिया पर लगातार लाइव आते रहे और अपने समर्थकों को हर स्थिति से अवगत कराते रहे—कब उन्हें रोका गया, किस वजह से उन्हें पीड़ित परिवारों तक नहीं जाने दिया जा रहा है, और वे अब कहां हैं। उनके अपडेट्स पर हज़ारों समर्थकों ने प्रतिक्रियाएं दीं। वहीं पुलिस का कहना है कि हिंसा की जांच की जा रही है, और अब तक 20 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है जबकि 50 से 60 प्रदर्शनकारियों की पहचान कर ली गई है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि चंद्रशेखर की गिरफ्तारी की अफवाह एक व्हाट्सएप ग्रुप में फैलाई गई थी, जिससे लोगों का गुस्सा भड़क गया। पुलिस ने आसपास के गांवों में देर रात तक सघन तलाशी अभियान चलाया, ताकि हिंसा में शामिल लोगों को पकड़ा जा सके। पुलिस का साफ कहना है कि चंद्रशेखर को सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रोका गया था, न कि किसी राजनीतिक कारण से।
रिपोर्ट:- कनक चौहान