क्या है दुनिया मे कोरोना वैक्सीन की स्तिथि? किन वैक्सीन से है भारत को सबसे ज़ादा उम्मीदें..

कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए बीते कुछ दिनों में सकारात्मक खबरें आई हैं. दुनिया के अलग-अलग देशों में चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल ने अच्छे संकेत दिए हैं, जिसके बाद जल्द वैक्सीन आने की उम्मीद जाग गई हैं. भारत में भी अब वैक्सीन के वितरण को लेकर तैयारियों पर मंथन किया जा रहा है. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन द्वारा जिस वैक्सीन पर काम किया जा रहा है, उसने बढ़िया रिजल्ट दिया है. इसका ट्रायल भारत में भी जारी है, ऐसे में भारत के लिए उम्मीदें बरकरार हैं. इनके अलावा कुछ अन्य वैक्सीन पर भी ट्रायल चल रहा है, ऐसे में भारत को किन वैक्सीन से क्या उम्मीदें हैं एक नज़र डालिए.

ऑक्सफोर्ड को मिली कितनी सफलता?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और AstraZeneca द्वारा मिलकर AZD1222 वैक्सीन पर काम किया जा रहा है. भारत में इस वैक्सीन का वर्जन कोविडशील्ड पर ट्रायल चल रहा है. सोमवार को ऑक्सफोर्ड ने अपनी एक रिसर्च जारी की, जिसमें दावा किया गया कि वैक्सीन की जिन दो डोज़ पर ट्रायल किया गया है उनमें संयुक्त रूप से 70 फीसदी से सफलता पाई जा रही है. अगर अलग-अलग डोज़ की बात करें तो पहली डोज़ की सफलता 90 फीसदी और दूसरी डोज़ की 62 फीसदी तक रिकॉर्ड की गई है.

भारत के लिए इस रिजल्ट के मायने?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर भारत का सीरम इंस्टीट्यूट कोविडशील्ड वैक्सीन पर काम कर रहा है. भारत में अभी ये वैक्सीन एडवांस स्टेज में है और करीब 1600 लोगों पर इसका ट्रायल चल रहा है. ऑक्सफोर्ड की जिन डोज़ ने अमेरिका-ब्राजील में शानदार नतीजे दिखाए हैं, अगर वैसे ही नतीजे भारत में चल रहे ट्रायल से आते हैं तो फिर जल्द ही वैक्सीन का काम आगे बढ़ सकता है.

अन्य किन वैक्सीन पर जारी है काम?
दुनिया में हाल ही के दिनों में कई वैक्सीन उत्पादकों ने अच्छे नतीजों का दावा किया है, जिनमें से कुछ का ट्रायल भारत में भी चल रहा है. फाइज़र-बायोएनटेक, मॉडर्ना-NIAID और अन्य कुछ वैक्सीन की ओर से 90 फीसदी तक सफलता की बात कही गई है, हालांकि किसी ने भी अभी तक ऑक्सफोर्ड की तरह साइंटिफिक जर्नल जारी नहीं किया है. भारत में जिन वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है, उनमें सीरम इंस्टीट्यूट की आस्ट्रेजेनेका, भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन, रूस की स्पुतनिक, कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड और बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन शामिल हैं.

Pfizer-BioNTech की ओर से दावा किया गया है कि उनकी वैक्सीन ने ट्रायल में 95 फीसदी तक सफलता दिखाई है. लेकिन वैक्सीन के डोज को रखने के लिए काफी अधिक ठंडा वातावरण चाहिए. अभी तक इस वैक्सीन की अनुमानित राशि भारत के हिसाब से 1400 रुपये प्रति डोज़ बताई जा रही है.

हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा भी COVAXIN पर काम जारी है. ट्रायल के दौरान इसमें करीब 60 फीसदी से अधिक सफलता दिखाई दी है, जो कि अगले साल के बीच में लॉन्च की जा सकती है. कंपनी की ओर से करीब 500 मिलियन डोज बनाने की तैयारी की जा रही है, जिन्हें स्टोर करने के लिए 2 से 8 डिग्री तापमान की जरूरत होगी. हाल ही में को-वैक्सीन का तीसरा ट्रायल पूरा किया गया है, जिसमें करीब 26 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था.
मॉडर्ना और NIAID का दावा है कि उनकी वैक्सीन ने 94.5 फीसदी तक सफलता दिखाई है, इस वैक्सीन को रखने के लिए -20 डिग्री तक का तापमान चाहिए. हालांकि, इस वैक्सीन का रेट 25 डॉलर से 37 डॉलर तक तय किया गया है जो सरकारों को दिया जाएगा.

रूस की Sputnik V vaccine ने उसी तकनीक से काम किया है, जिससे ऑक्सफोर्ड काम कर रहा है. रूस डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड का दावा है कि उनकी वैक्सीन ने 92 फीसदी तक सफलता दिखाई है. इस वैक्सीन को -18 डिग्री तक के तापमान में स्टोर किया जा सकता है, जबकि इसका दाम भी अन्य वैक्सीन से कम हो सकता है.

वहीं, भारत की कोविडशील्ड की बात करें तो इसे 2 से 8 डिग्री तापमान में स्टोर किया जा सकता है. सरकार के लिए इसका दाम 3 डॉलर प्रति डोज होगा, जबकि आम लोगों के लिए ये कीमत 7-8 डॉलर प्रति डोज तक जा सकती है.

गौरतलब है कि वैक्सीन को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी बयान दिया और कहा कि भारत की वैक्सीन अब फाइनल स्टेज में है और इनके जल्द बाजार में आने की उम्मीद हैं. भारत में वैक्सीन का उपयोग कैसे होगा, वितरण कैसे होगा उसके लिए सरकार ने एक कमेटी बनाई है, जो सभी बिंदुओं पर गौर कर रही है. कमेटी द्वारा ही वैक्सीन देने की प्राथमिकता को तय किया जाएगा, ताकि हर किसी तक वैक्सीन पहुंच सके. भारत में वैक्सीन की डोज़ के लिए पहली प्राथमिकता स्वास्थ्यकर्मियों, कोरोना वॉरियर्स को दी जा सकती है जिसके बाद बुजुर्गों का नंबर आ सकता है.

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