चले गये छोड़कर पत्रकारिता की तहज़ीब- अलविदा कमाल साहब…

रहने को तो सदा दयार में आता नहीं कोई !
तुम जैसे गये ऐसे भी जाता नहीं कोई !!


एक दिन इस दुनिया से सभी को अलविदा कहना है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जब वो इस दुनिया से अलविदा कहते हैं तो हर किसी की आंख को नम कर जाते हैं। उनमें से ही पत्रकारिता जगत की एक ऐसी शख्सियत ने दुनिया को अलविदा कह दिया जिसका नाम कमाल ख़ान है। कमाल ख़ान ऐसे प्रसिद्ध पत्रकार थे जो हमेशा ज़मीन से जुड़े रहे और ज़मीनी लोगों की समस्याओं को उजागर करते रहे।उनका नाम ही कमाल नहीं वो भी एक कमाल थे। उन्हें में पत्रकारिता जगत की तहज़ीब न कहूं तो फिर क्या कहूं? जेसे उनके इंतिक़ाल की खबर आयी प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रोनिक मीडिया से लेकर सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर हर कोई अपने अपने अंदाज में खिराजे अक़ीदत पेश कर रहा है। बड़े बड़े राजनेताओं, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, फिल्मीजगत से लेकर हर आम इंसान की ज़ुबा पर बस एक ही नाम था कमाल ख़ान। लोगों को शब्द नहीं मिल रहे थे कि किस तरह से उन्हें खिराजे अक़ीदत पेश की जाए।यही होती है कुछ ख़ास लोगों की पहचान।


ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा तुम्हें,
तुम्हीं सो गए दास्ताँ कहते कहते…


तहज़ीब की नग़री लखनऊ से उठी ऐसी आवाज़ जो पूरे देश में छा गई और अब हमेशा के लिए खामोश हो गई।अब ज़िंदा रह गई तो सिर्फ उनकी यादें,उनकी पत्रकारिता, पत्रकारिता के क्षेत्र में किया गया उनका क़ाविले तारीफ काम जो आने वाले नोजवान पत्रकारों के लिए एक मिसाल है। और उनकी यही यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी।जब वो बोलते थे तो उनके हर लफ्ज़ में तहज़ीब होती थी।उनका वोलने का लहज़ा वाकि में क़ाविले तारीफ था। ऐसा लगता था जैसे उनके होंठों से फूल झड़ रहे हों। बहुत ही शालीनता के साथ अपनी बात को रखते है। सुनने वाला जब उन्हें सुनता तो ऐसा लगता सुनता ही जाये।अपनी हर रिपोर्ट को शब्दों के बेहतरीन ज़खीरे के साथ तर्कसंगत ऐसे पेश करते कि हर किसी को आसानी से समझ आये। एकबार फिर कहता हूं कि कमाल वाकि में एक पत्रकारिता जगत के कमाल थे।जिनकी पत्रकारिता से सीख मिलती है कि पत्रकारिता हड़बड़ाहट,भागम-भाग, उछल कूद का ही नाम नहीं है वल्की पत्रकारिता को शालीनता के साथ तर्कसंगत तरह से पेश किया जाना चाहिए जैसे कमाल ख़ान ने किया।बस इतने ही शब्द थे मेरे पास। और इस शेर के साथ उन्हें खिराजे अकीदत पेश करता हूं‌।


आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा
जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
अलविदा कमाल सर।

                                   लेखक मो राशिद अल्वी
                           (युवाछात्र व सोशलएक्टिविस्ट)

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