मुंबई की रहने वाली 65 वर्षीय प्रभावती देवी ने यह साबित कर दिया कि सपनों को पूरा करने के लिए उम्र महज एक संख्या है। जिस उम्र में लोग आमतौर पर आराम और रिटायरमेंट की सोचते हैं, उस उम्र में उन्होंने कलम थामी और अपने पोते के साथ बैठकर 10वीं की परीक्षा दी — और उसे सफलतापूर्वक पास भी किया।
शिक्षा का सपना जो अधूरा रह गया था
प्रभावती जी की पढ़ाई किसी कारणवश बचपन में अधूरी रह गई थी। जीवन की जिम्मेदारियों में वह इतनी उलझ गईं कि खुद की पढ़ाई कभी प्राथमिकता नहीं बन पाई। लेकिन मन में हमेशा यह कसक रही कि पढ़ाई पूरी करनी है।
जब उनके पोते ने 10वीं की परीक्षा की तैयारी शुरू की, तब प्रभावती जी ने ठान लिया कि अब नहीं रुकना है। उन्होंने पोते के साथ बैठकर पढ़ाई की, उसी किताब से सीखा, सवालों को हल किया और कठिन विषयों से भी नहीं घबराईं।
एक साथ परीक्षा, एक साथ सफलता
जब बोर्ड परीक्षाएं हुईं, तो स्कूल और समाज दोनों ही हैरान थे। एक दादी और एक पोता — एक ही परीक्षा केंद्र में, एक ही मकसद के साथ: शिक्षा की ओर एक नया कदम। परीक्षा परिणाम आने पर दोनों पास हो गए, और पूरा परिवार, स्कूल और मोहल्ला खुशी से झूम उठा।
समाज को मिला बड़ा संदेश
इस कहानी ने समाज को यह गहरा संदेश दिया है कि अगर लगन और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी बाधा आपके रास्ते में नहीं टिक सकती। जहां आज भी बहुत सी महिलाएं समाजिक दबाव या आत्मविश्वास की कमी के कारण पढ़ाई छोड़ देती हैं, प्रभावती जी जैसे उदाहरण उन्हें प्रेरणा और उम्मीद दे सकते हैं।