दिल्ली पहुंचकर वसुंधरा राजे ने की जेपी नड्डा से मुलाकात- राजस्थान में फिर आ सकता है बड़ा सियासी भूचाल…

  • राजस्थान की सियासत में एक के बाद एक नाटकीय मोड़ आते जा रहे है।
  • एक अरसे से खामोश राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया रंगमंच पर उतर चुकी है।
  • जयपुर राजस्थान ब्यूरो:
  • राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच भाजपा नेता भी सक्रिय हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर प्रदेश के राजनीतिक हालात पर चर्चा की। वसुंधरा राजे ने नड्डा को विश्वास दिलाया कि वे पार्टी के फैसले के साथ हैं। पार्टी नेतृत्व का हर फैसला उन्हें मंजूर होगा। सूत्रों के अनुसार, नड्डा से वसुंधरा राजे ने कहा कि पिछले कुछ समय से मैं चूप थी, लेकिर मेरी चुप्पी का गलत अर्थ नहीं निकाला जाए। उन्होंने बताया कि सावन मास में पूजा-अर्चना करने के कारण वे धौलपुर में ही रही, अब फिर से सक्रिय होंगी
  • प्रदेश पार्टी नेतृत्व से नाराज वसुंधरा राजे दिल्ली में जमी बैठी है। बताया जाता है कि चालीस से ज्यादा भाजपा विधायक उनके साथ है। अगर यह बात सही है तो यकीन मानिए एक बार फिर पार्टी आलाकमान महारानी के सामने बेबस और लाचार ही है। देर रात तक सोशल मीडिया पर खबर चलती रही थी कि वसुंधरा कांग्रेस में शामिल हो सकती है लेकिन सुबह होते होते ऐसी खबरों पर विराम लग गया।
  • प्रदेश भाजपा में गुटबाजी की बात किसी से छुपी नहीं है।पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी वसुंधरा राजे फूटी आंख नही सुहाती। अमित शाह से उनकी अदावत जगजाहिर है।प्रदेश अध्यक्ष पद पर गजेन्द्र सिंह शेखावत की ताजपोशी को लेकर जिस तरह महारानी ने अमित शाह को घुटनों के बल ला दिया उसके बाद से ही शाह-वसुंधरा संघर्ष खुलकर सामने आ रहा है।
  • प्रदेश भाजपा में सतीश पूनिया की ताजपोशी के साथ ही प्रदेश संगठन में वसुंधरा को ठिकाने लगाने की कवायाद शुरू हो गई। पार्टी में वसुंधरा विरोधी धड़ा एक हुआ।गजेन्द्र सिंह शेखावत और भाजपा के सहयोगी आरएलपी के हनुमान बेनीवाल सक्रिय हुए। प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने संगठन में अपने लोगो को खड़ा किया और वसुंधरा को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
  • इन सबके बीच लंबे समय से वसुंधरा खामोश रही औऱ अपना इक्का निकालकर इंतजार करती रही कि कब सामने से बादशाह आये।
  • हाल ही में सतीश पूनिया ने अपनी प्रदेश भाजपा टीम की घोषणा की। जैसे ही लिस्ट सामने आई तो महारानी का सब्र का बांध टूट पड़ा। उस लिस्ट में महारानी की अनदेखी ने एक बार फिर वसुंधरा राजे को अपना हुकुम का इक्का फेंकने का मौका दिया।
  • राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि महारानी की दिल्ली जाने की खबर के साथ ही उनके विरोधियों के पसीने छूट गए है क्योंकि जब जब महारानी इस तरह दिल्ली जाती है तो आलाकमान घुटनों के बल आ जाता है।
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