देहरादून
उत्तराखंड में सियासी संक ट के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात करीब सवा 11 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। 20 साल पहले बने उत्तराखंड के इतिहास में वे सबसे कम 115 दिन ही मुख्यमंत्री रह पाए। 2002 में भगत सिंह कोश्यारी 123 दिन CM रहे थे।
मुख्यमंत्री तीरथ शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत राजभवन पहुंचे। नया नेता चुनने के लिए भाजपा विधायक दल की बैठक शनिवार दोपहर तीन बजे देहरादून में बुलाई गई है। तय है कि इस बार नए नेता का चयन विधायकों में से ही किया जाएगा।

त्रिवेंद्र के बाद तीरथ की भी नाटकीय विदाई
गुजरे मार्च में जिस तरह नाटकीय और अप्रत्याशित तरीके से मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत रुखसत हुए थे, कुछ वैसी ही तीरथ सिंह रावत की विदाई की पटकथा भी रही। 17 जून को ही अपने कार्यकाल के सौ दिन पूरे करने वाले तीरथ को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उप चुनाव लड़ने का मौका न मिल पाने के कारण उन्हें इतनी जल्दी मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। अगर उन्हें ऐसा आभास होता तो शायद वह अपने छोटे से कार्यकाल में हुए सल्ट (अल्मोड़ा) विधानसभा सीट के उप चुनाव में ही स्वयं मैदान में उतर जाते।
संवैधानिक अड़चन के कारण छोड़ना होगा पद
रामनगर में तीन दिनी चिंतन शिविर के तत्काल बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया था। इस तरह अचानक आए बुलावे से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया। बुधवार दोपहर दिल्ली पहुंचे तीरथ की मध्य रात्रि के आसपास गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई। इसके बाद तीरथ अपने दिल्ली स्थित आवास चले गए। उन्हें गुरुवार को लौटना था, लेकिन पार्टी ने उन्हें दिल्ली में ही रुकने को कहा। शुक्रवार दोपहर लगभग एक बजे तीरथ सिंह रावत फिर अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। यहां लगभग आधा घंटे चली मुलाकात के दौरान उन्हें जानकारी दी गई कि उप चुनाव पर निर्वाचन आयोग की रोक के कारण उन्हें पद छोड़ना होगा। इस पर तीरथ ने पार्टी अध्यक्ष को अपने इस्तीफे की पेशकश संबंधी पत्र सौंप दिया।