हनुमान मूर्ति को लेकर आपस में भिड़े हिंदू संप्रदाय के दो गुट! CM ने खुद किया समझाने का ….

गुजरात के बोटाद जिले में एक हनुमान प्रतिमा पर विवाद हो गया है. दरअसल स्वामीनारायण संप्रदाय के एक मंदिर में एक भित्ती चित्र में हनुमान को स्वामी नारायण संप्रदाय के गुरु के चरणों में विराजमान होना लोगों को नागवार लगा है. इस पर गुजरात के 2 प्रमुख हिंदू समुदायों में जबरदस्त विवाद हो गया है. सोमवार को स्वयं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने दोनों पक्षों से बातचीत की है. दूसरी ओर इस विवाद की आंच मध्यप्रदेश चुनावों तक पहुंचाने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस पार्टी इसे फ्रंटफुट पर लाकर खेलना चाहती है.

क्या है मामला

सौराष्ट्र के बोटाद जिले में स्वामी नारायण मंदिर में अभी कुछ महीने पहले ही एक 54 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा स्थापित हुई . मंदिर की दीवारों को आकर्षक बनाने के लिए तमाम भित्तिचित्र बनाने गए हैं.इन्हीं में से एक भित्तिचित्र में दिखाया गया है कि राम भक्त हनुमान शिष्य के रूप में सहजानंद स्वामी जी के सामने घुटने पर बैठे हुए हैं. सहजानंद स्वामी (1781-1830) स्वामीनारायण संप्रदाय के फाउंडर हैं,जिन्हें इस संप्रदाय के लोग भगवान मानते हैं. भक्त सहजानंद स्वामी को भगवान स्वामीनारायण का रूप मानता है. 20 अगस्त को रामानंदी समुदाय के एक भक्त को भित्ती चित्र में स्वामी सहजानंद के आगे हनुमान जी का घुटना टेकना ठीक नहीं लगा.

इसके बाद माहौल गरम हो गया.रामकथा वाचक मोरारी बापू ने भी ऐसे चित्रों पर आपत्ति जताई. उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा कि लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह हमारे धर्म का अपमान है. भगवान जगन्नाथ मंदिर के दिलीपदासजी महाराज ने कहा कि किसी को भी ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए कि दूसरे धर्म का अपमान हो.धार्मिक नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले गुरुवार को बोटाद कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर भित्ति चित्र हटाने की मांग की.इस बीच एक विडियो वायरल हो गया जिसमें एक शख्स मंदिर में आपत्तिजनक हनुमान भित्ती चित्र पर स्याही फेंकता है और तोड़ फोड़ करता दिखाई देता है.बाद में पुलिस ने एक्शन लेते हुए इस संबंध में 2 गिरफ्तारी भी करती है.

मामले में राजनीति की एंट्री

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो आरएसएस नेता राम माधव के मंदिर पहुंचने और कांग्रेस के इस मुद्दे में शामिल होने से मामला और बढ़ गया . कांग्रेस नेता महेश राजपूत का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह जब इस मंदिर के उद्घाटन में आए थे तब भी यह भित्ती चित्र यहां मौजूद था.

केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्त्म रुपाला ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण माना फिर भी कोई बीजेपी नेता इस मुद्दे पर बोलने से मुकर रहा है.जाहिर है कि स्वामीनारायण संप्रदाय से बीजेपी नेताओं के अच्छे रिश्ते रहे हैं. पर कांग्रेस के नेताओं का भी इनके यहां आना जाना रहा है.

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