दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन रूस में लॉन्च होने जा रही है। वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 अगस्त की तारीख रजिस्ट्रेशन के लिए तय की है। अगर सबकुछ ठीक रहा और वैक्सीन को रेगुलेटरी अप्रूवल मिला तो यह दुनिया की पहली प्रमाणिक कोविड-19 वैक्सीन होगी। अभी तक किसी देश को वैक्सीन बनाने में सफलता नहीं मिली है। रूस ने प्लान किया है कि यह वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी, उसके बाद बुजुर्गों को। मॉस्को ने कई देशों को भी वैक्सीन सप्लाई करने की बात कही है। रूस का कहना है कि वह अपने कोरोना टीके का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर से शुरू कर सकता है।
रूस ने फिलीपींस को उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन देने का ऑफर दिया था। फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने यह ऑफर तो स्वीकार कर ही लिया है, साथ ही कहा है कि वह सबसे पहले खुद को वह टीका लगवाना चाहते हैं। ऐसा वह रूस के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करने के लिए करना चाहते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को दुतेर्ते ने कहा, “जब वैक्सीन आएगी तो मैं खुद को खुलेआम इंजेक्श्न लगवाना चाहता हूं। सबसे पहले मुझपर एक्सपेरिमेंट कीजिए, मुझे कोई दिक्कत नहीं।” दुतेर्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना आदर्श बता चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मनीला इस टीके के क्लिनिकल ट्रायल में रूस की मदद कर सकता है।मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एडेनोवायरस को बेस बनाकर यह वैक्सीन तैयार की है। रिसर्चर्स का दावा है कि वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, वे खुद को रेप्लिकेट (कॉपी) नहीं कर सकते। रिसर्च और मैनुफैक्चरिंग में शामिल कई लोगों ने खुद को इस वैक्सीन की डोज दी है। कुछ लोगों को वैक्सीन की डोज दिए जााने पर बुखार आ सकता है जिसके लिए पैरासिटामॉल के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।
रूस ने वैक्सीन लॉन्च करने में जो ‘जल्दबाजी’ दिखाई है, वह दुनियाभर के गले नहीं उतर रही। इसी हफ्ते से यह वैक्सीन नागरिकों को दी जाने लगेगी मगर वहीं पर इसका विरोध होने लगा है। मल्टीनैशनल फार्मा कंपनीज की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्सीन के सिविल यूज की इजाजत देना खतरनाक कदम साबित हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।रूस जहां कल वैक्सीन लॉन्च करने जा रहा है, वहीं बाकी दुनिया अभी कोरोना टीकों का ट्रायल कर रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल, जापान, चीन भारत समेत कई देशों में वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं। ट्रायल के आखिरी स्टेज में कुल 5 वैक्सीन पहुंच चुकी हैं और शुरुआती नतीजे अक्टूबर तक आ सकते हैं।