पीडब्ल्यूडी की महिला अधिकारी के उत्पीड़न से तंग आकर ठेकेदार की आत्महत्या….

पीडब्ल्यूडी ठेकेदार ने गोमती नगर विस्तार स्थित घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। ठेकेदार दुष्कर्म के मुकदमे में 15 दिन पहले ही जेल से छूटा था। सुसाइड नोट में पीडब्ल्यूडी की सहायक अभियंता (एई) और उसके पिता पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। महिला इंजीनियर वर्तमान में अयोध्या में तैनात है।

मूलरूप से गोंडा के तुलसीपुर मांझा नवाबगंज निवासी प्रशांत विजय सिंह (42) गोमती नगर विस्तार स्थित शिप्रा अपार्टमेंट के बी-101 फ्लैट में पत्नी नितिशा, बेटे अर्णव (16) और आरव (12) के साथ रहते थे। वह पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी करते थे। उनके पिता प्रो. सिद्धमान सिंह डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विवि में तैनात हैं। पत्नी के मुताबिक शुक्रवार रात वह बेटे अर्णव को कमरे में बैठा कर पढ़ा रहीं थीं। तभी प्रशांत कमरे में आ गए।

प्रशांत ने पत्नी और बेटे को दूसरे कमरे में भेज दिया। कुछ देर बाद पत्नी ने खाने के लिए पूछा तो कहा कि भूख नहीं है। इसके बाद प्रशांत ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। शनिवार सुबह करीब पांच बजे बड़े बेटे अर्णव की नींद खुली तो कमरे की लाइट जल रही थी। अर्णव ने आवाज लगाई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद बच्चे ने अपनी मां को सूचना दी। नितिशा के मुताबिक दरवाजा पीटने पर भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने आशियाना निवासी देवर स्वतंत्र को फोन किया। इस दौरान अर्णव ने खिड़की से कमरे में झांक कर देखा तो पिता का शव पंखे में चादर के सहारे लटक रहा था। छोटे भाई स्वतंत्र सिंह पहुंचे तो दरवाजा तोड़कर शव को फंदे से उतारा गया।

झूठा मुकदमा लिखा कर जेल भेजा…अब धमका रही

ठेकेदार प्रशांत के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें पीडब्ल्यूडी की सहायक अभियंता (सिविल) पर अरोप लगाया है। इंजीनियर लखनऊ में तैनात थी और अब अयोध्या में तैनात है। भाई स्वतंत्र के मुताबिक महिला अधिकारी ने प्रशांत के खिलाफ एक मई को दुष्कर्म का मुकदमा लिखाया था। तीन मई को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। करीब तीन महीने बाद 15 अगस्त को वह जमानत पर छूटे थे। स्वतंत्र के मुताबिक आरोपी इंजीनियर रुपयों की मांग कर रही थी। मना करने पर ब्लैकमेल किया जा रहा था। इंस्पेक्टर गोमतीनगर विस्तार अनिल कुमार सिंह ने बताया कि साइड नोट की हैण्ड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराई जाएगी। महिला इंजीनियर से भी पूछताछ होगी। परिवार की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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