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यूपी में भाजपा की यह दलित महिला नेता बन सकती है डिप्टी सीएम बसपा को….

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद अब मंत्रिमंडल के गठन को लेकर अटकलें जारी हैं। इस दौरान आगरा ग्रामीण सीट से जीतने वाली विधायक बेबी रानी मौर्य का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। कयास लगाए जा रहे हैं कि महिला और प्रदेश का लोकप्रिय दलित चेहरा होने के चलते मौर्य को उप मुख्यमंत्री जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। खास बात है कि भाजपा ने कुछ समय पहले ही उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलाकर चुनावी मैदान में उतारा था। अब योगी कैबिनेट में मौर्य की एंट्री की संभावनाओं को राज्य में दलित समीकरण से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, मौर्य उसी जाटव समाज से आती हैं, जिसका ताल्लुक बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती का है। इस सियासी स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

अटकलें हैं कि मौर्य को योगी सरकार में डिप्टी सीएम या बड़ा पद मिल सकता है। हालांकि, अभी इसे लेकर आधिकारिक रूप से कोई घोषणा नहीं हुई है। आगरा की महापौर रह चुकी मौर्य ने ग्रामीण सीट से 2022 विधानसभा चुनाव में 76 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। उनके अलावा डिप्टी सीएम के रूप में भाजपा के प्रदेश प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह का नाम भी चर्चाओं में है।

कौन हैं बेबी रानी मौर्य
यूपी की जानी मानी दलित जाटव राजनेता मौर्य साल 1995 से 2000 तक आगरा की महापौर रहीं। उन्हें साल 2018 में उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया था। खास बात है कि पहाड़ी राज्य में राज्यपाल बनने वाली मौर्य दूसरी महिला हैं। इससे पहले मार्गरेट अलवा को 2009 में यह जिम्मेदारी दी गई थी।

ऐसे हुई 2022 चुनाव में एंट्री
राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद मौर्य को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। खबरें थी कि सत्ता विरोधी लहर के चलते आगरा ग्रामीण सीट पर पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में भाजपा ने विधायक हेमलता दिवाकर की जगह मौर्य को टिकट देकर मैदान में उतारा था। यहां भाजपा ने आगरा की सभी 9 सीटों पर जीत भी हासिल की।

बन सकती हैं सरकार का दलित चेहरा
जानकारों का मानना है कि भाजपा ने चुनाव से मौर्य को राज्यपाल पद से इस्तीफा इसलिए दिलाया, ताकि उन्हें दलितों से जोड़ा जा सके। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि भाजपा अगले चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का वोट बेस खत्म करने की कोशिश में है। ऐसे में प्रदेश की सियासत में मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी मिलना दलितों के लिहाज से पार्टी को फायदेमंद साबित हो सकता है।

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