श्रावणी मेला के जगह सावन_भादो मेला होना चाहिए

जिस प्रकार सावन माह के साथ साथ भादो में जो श्रद्धालुओं की संख्या देखने को मिलता है और खास करके भादो में नजदीक के जिले से अपने धान, मक्का, कलाई जैसी खेती करने के बाद कावंर लिए छोटे छोटे बच्चों के साथ सुल्तांगज से बाबा वैद्यनाथ धाम जाने का जो उत्साह दिखाई देता है वो एक बात को जरूर इंगित करता है की सावन के साथ साथ भादो के महीने को भी मेला का रूप विधिवत रूप से मिलनी चाहिए जिससे प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा, स्वास्थ्य, शौचालय से सफाई जैसी सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए कम न हो बल्कि पर्याप्त रूप से मिले।

स्वच्छ भारत अभियान का भादो में भी प्रभाव दिखे

शिवलोक से धौरी धर्मशाला तक कावरिया पथ के निरीक्षण के दौरान कावरिया श्रद्धालुओं से जो बात करने का मौका मिला जो उपर्युक्त सुविधाओं के कमी को अनुचित ठहराया ये कहते हुए की भादो महीने में हम श्रृद्धालुओं के जाने का वजह हम जैसे किसानों के लिए वर्षों से उपयुक्त परंपरा रहा है अतः इस माह को भी मेले में शामिल किया जाए।

अगर ऐसा होता है तो उत्साह के साथ साथ स्थानीय लोगों को छोटे मोटे रोजगार के भी अवसर प्रदान होंगे तथा कावंरिया पथ पर व्यय में अनियमितता न करके बल्कि सौंदर्यीकरण करने के लिए सोचा जायेगा।

साथ में श्री संजीव सिंह (पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस), अरविंद पाण्डेय (पूर्व युवा जिलाध्यक्ष), पवन झा, राघव सिंह, सुगंध झा, दीपक सिंह, आनंद विजय, रोशन सिंह, अनुराग सिंह, पंडित तारानंद पाण्डेय इत्यादि।

Share
Now