सुदी कर्ज़ का मक्कड़जाल! भारत के मुसलमानों और…

भारत के मुसलमानों और मुसलमानी हकूमतों अगर फिलस्तीन के लिए शाना ब शाना मदद नहीं कर सकते तो अपने मुल्कों में राइज इस सेहूनी, यहुदी सूदी निज़ाम को तोड़ने में मदद करो ताकि पूंजीवादी व्यवस्था की अपने आप कमर टूट जाए जो अपने हितों के लिए निहत्थे फिलस्तीनी शहरियो की कमर तोड़ रहा है इस पूंजीवाद व्यवस्था का सबसे बड़ा हथियार सूद या रिबा है जिसको छोड़ने के लिए क़ुरान ए करीम में साफ इरशाद है नही तो अल्लाह और उसके रसूल से जंग के लिए तैयार हो जाओ ।

पैवस्त हो गए हो जैसे जूते में टांका

भारत के मुसलमानों और ए मुसलमानी हकूमतो तुम इस सुदी व्यवस्था में इस तरह पैवस्त हो गए हो जैसे जूते में टांका। तुम्हें क़ुरान का हुक्म याद नही तुम्हें अपने नबी की व्यवथा याद नहीं जो आपने आखरी खुतबे में अपने चचा के सूद के कारोबार को इसी वक्त खत्म करके तुम्हारे लिए मिसाल कायम की थी। क्या तुम्हे याद नही कि जकात की तकसीम ने सारे माशरे को खुद कफील और अमीर बना दिया था जिसमे सदाकात को लेने वाला कोई नही था क्यों इस सेहूनी निज़ाम को अपने गले का तौक बना रखा है तुम्हे क्या हो गया कि इनके क़र्ज़ के जंजाल से बाहर नहीं निकलते। तुम्हें क्या हो गया कि तुम्हे वही सिस्टम अपनी हकूमतो, अपने शहरों, अपनी बस्तियों और अपने घरों में चला रखा है।

सूद का पैसा लेते हो बच्चो को पढ़ाते हो

घर बनाते हो तो सूद का पैसा लेते हो बच्चो को पढ़ाते हो, गाड़ी कार खरीदते हो, जायदाद खरीदते हो, कारोबार करते हो या शादी करते हो यानी कोई भी काम तुम्हारा इस व्यवस्था से खाली नही है तो तुम सीधे तौर से उस व्यवस्था के हिस्सेदार हो जो गाज़ा पर बम बरसाती है, बच्चो का कत्ल आम करती है उनको अपाहिज या मिस्कीन बनाती है या सफाकी के साथ तुम्हारी नस्ल कुशी कर रहे हैं तुम्हारी मस्जिद अक्सा को शहीद करने के दरपे हैं तो तुम भी सीधे तौर पर इन हथियारों की सप्लाई में इनका हिस्सा हो क्योंकि उनका सबसे बड़ा हथियार उनका सूदी निज़ाम है जो उन्हे शाह और तुम्हे भिखारी बनाता है। फिर तुम इसके साथ कितनी ही इबादत कर लो अपनी मस्जिदों में दुआ कर लो पस्ती और जिल्लत हमारा मुक्वदर बन गई हैं उसमे हम सब शामिल हैं।

अब हद यह हो गई कि आपस की लेन देन में भी मुनाफा जोड़ लिया है इतने दिन के बाद इतना बढ़ा कर वापस करना है कहां जा रहे हो और कितने दिन जीना है सिकंदर भी खाली हाथ इस दुनिया से गया था तुम्हारी और तुम्हारी हकूमत बरबादी के दहाने पर खड़ी है और दुनिया तमाशा देख रही है उनके साथ गाज़ा को मिटते तुम भी बेबसी से देख रहे हो क्योंकि सेहूनियत व्यवस्था की गुलामी का तौक अपने गले में लटका रखा है तुम्हारे जहनो को तारिक बिन ज्याद का अजम भी नही झकझोरता कि असबाब को खत्म करके कैसे कामयाबी हासिल की जाती हैं।

हमारा देश भारत भी इस यहूदी कर्ज़ के जंजाल में फंस गया है हर विकास परियोजना इस कर्जदारी का हिस्सा है बजट का एक बड़ा हिस्सा सूद में चला जाता है हर पैदा होने वाला बच्चा कर्जदार पैदा होता है पूरी अर्थव्यवस्था कर्ज़ आधारित हैं और तमाम देशों की यही हालत है फिर भी हमारे दावे महान है। महान बनने के लिए कर्ज मुक्त होना पड़ेगा और वही फार्मूला अपनाना पड़ेगा जो 1400 साल पहले अपनाया गया था भारत के मुसलमानों वो सबक तुम्हे भी फिर से पढ़ना होगा और दूसरों को भी पढ़ाना होगा।

” फजूल जान कर जिसको बुझा दिया तूने।
वही चिराग़ जलेगा तो रोशनी होगी।”

अपने देश की संप्रभुता और समृद्धि की गारंटी तब ही मुमकिन है जब देश, समाज और मुस्लिम उम्माह इस यहूदी लानत से आजाद होने का प्रयास करे।

आपका,
खुर्शीद अहमद,
37, प्रीति एनक्लेव, माजरा, देहरादून।

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