वहशियाना जंग की सच्चाई! इजराइल हमास युद्ध को लेकर जाने…..

एक ऐसी कौम (बनी इसराइल जिनका एक रूक्न यहूदिअत) जिसको अल्लाह ने बार बार अपनी इनायतों से नवाजा आसमान से उनके लिए (मनने सलवा) खाना उतरा। मगर यह कौम बनी इसराइल हमेशा अपने एहदो पैमान तोड़ती रही बागी हो गई। अल्लाह ने उनको सजा दी और वोह दुनियां में कहीं भी आबाद नहीं हो सके। और हमेशा ईसाई राजाओं ने उनकी शातिराना फितरत और धोखे बाज़ी के लिए उनके जनसंहार किया उनका कत्लेआम किया बस्तियों को तहस नेहस किया और इस कौम ने अपनी आर्थिकी के दम पर फिर दुनिया पर अपना सिक्का जमा दिया आज दुनिया का कोई मुल्क ऐसा नहीं जो इनका आर्थिक गुलाम या कर्जदार न हो। और इसी मायाजाल में फसकर यूरोप को बालफोर्ड डिक्लेरेशन के तहत फिलस्तीन की ज़मीन इनको इसराइल बनाने के लिए देनी पड़ी। इसके लिए Weizman और Rothschild की यूरोप की घेरा बंदी थी। दूसरी वजह Abraham Stern की स्टर्न गैंग जो हर तरह की दहशत गर्दी कर इसराइल मुल्क की स्थापना करने के लिए लाम बंद थे। और फिर यूरोप ने इस खेल को फिलस्तीन की धरती की तरफ मोड़ दिया और 1948 में इसराइल पहली रियासत बनी जिसकी बुनियाद दहशत गर्दी थी और इसकी हिमायत अमेरिका और ब्रिटिश एम्पायर कर रही थी और आज भी कर रहे हैं। अरबों को ऐश परस्ती के मकड़ जाल में फसा दिया गया और वोह बेचारे अपने हरमो को ज़ीनत बन गए एक दो खुद्दार हुक्मरान उठे तो उन्हे तहे तेग कर दिया गया बाकी सब कागजी शेर रह गए। आहिस्ता आहिस्ता तमाम दुनिया के यहूदियों को इसराइल बुला कर आबाद किया गया और फिलस्तीन की ज़मीन छिनती गया और रह गई गाज़ा पट्टी (12 x 41 km) वोह भी हड़पनी हैं। बैतूल मकदिस की जगह टेंपल माउंट बनाना है इस उद्देशीय की पूर्ति के लिए फिलस्तीनी आबादी को खत्म करना पड़ेगा आज का इसराइल, फिलस्तीन युद्ध इस घिनौनी साज़िश की एक कड़ी है जो इसराइल फौज की खूनी प्यास फिलस्तीनी खून से बुझाएगी अब सारी इंसानियत खत्म सिर्फ इसराइल को अपनी सुरक्षा का आधिकार अमेरिका बहादुर ने दे दिया है यानी लाइसेंस मिल गया है कि अब फिलस्तीनियो पर कितना भी जुल्म कर लो, कार्पेट बॉम्बिंग करो, फास्फोरस बॉम्बिंग करो, स्पोंज बॉम्बिंग करो, केमिकल यूज करो या एटम बॉम्ब डाल दो अब तुम्हे आज़ादी है जो चाहे करो दुनिया सिर्फ तमाशा देखती रहेगी और तुम गाजा पर कब्जा कर लेना। वाह री दुनिया की गैरत क्या हो गया। याद रहे कि मुसलमानों ने बैतूल मकदिस फतह करने के बाद भी यहूदियों को बैतूल मकदिस की खिदमत पर मामूर किया। इतिहास तो कितना भी बदल ले मगर सच्चाई हमेशा सच ही रहती है। आज उस एहसान का सिला मिलना है कि यहूदियों का इंसाफ उम्मात मुसलिमा के हाथो होगा और इनकी दज्जलियत हमेशा के लिए खत्म होगी।
यह मेरे नबी का इरशाद है।

आज तो उन मजलूमों की बात करना भी गुनाह हो गया। मगर लोगों में अभी इंसाफ जिंदा है और मजलूमों का दर्द उनको तड़पाता है इसलिए दुनिया के इंसाफ पसंद लोग सड़कों पर हैं। देहरादून शहर से भी हर रोज़ मस्जिदों से फिलस्तीन के मजलूम लोगों के लिए दुआओं का एहतेमाम और तमाम देहरादून वासियों, शहर काज़ी , मस्जिदों के इमाम, सामाजिक वा राजनीतिक प्रतिनिधियों की तरफ से इसराइल प्रधान मंत्री को भारत में इसराइल एम्बेसी को जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से फोरन जंगबंदी, पीड़ितों की मदद और फिलस्तीन की आज़ादी के लिए एक ज्ञापन दिया गया है ताकि लोगों की भावनाएं इसराइल की हकूमत तक पहुंचे और इस वहशियाना जंग का अन्त सके।


खुर्शीद अहमद,
37, प्रीति एनक्लेव माजरा देहरादून उत्तराखंड।

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