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चतुर्थ दिवस की भागवतकथा में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव और बाललीला की हुई कथा

उत्तरप्रदेश/कौशाम्बी संवाददाता मुज़फ्फर की रिपोर्ट

भगवान की कथा श्रवण से मनुष्य को मिलती है मुक्ति… अतुल कृष्ण महाराज

कौशाम्बी /सिराथू ब्लॉक के ग्राम गंभीरा पूर्व स्थित कमासिन माता मंदिर में आयोजित साप्ताहिक संगीतमय श्रीभागवतकथा एवं महायज्ञ के चौथे रोज की कथा में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव एवं उनके बाललीला की कथा हुई। वृंदावन से पधारे कथावाचक अतुल कृष्ण जी महाराज ने कथा सुनाते हुए कहा कि कंस के पाप और अत्याचार से जब धरती कांप उठी तो स्वयं नारायण ने देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण रूप में प्रकट हुए। कंस की चचेरी बहन देवकी का वसुदेव के साथ विवाह हुआ। विदाई के समय आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने के लिए देवकी के आठवें गर्भ से जो संतान होगी, वही कंस का वध करेगी। ऐसी आकाशवाणी सुनकर कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया। प्रत्येक संतान के होने पर कंस उसे मार देता था।

जैसे ही आठवी संतान हुई, भगवान विष्णु स्वयं बालक रूप में प्रकट हुए। वसुदेव उन्हे गोकुल में नंद बाबा के यहां पहुंचकर एक कन्या को लाए। जैसे ही संतान के होने के बारे में कंस को पता चला, उसने कन्या को मारना चाहा लेकिन कन्या ने अंतर्ध्यान होने के पूर्व कंस से कही कि तेरा मारने वाला जग में पैदा हो चुका है। भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में बाल लीलाकर लोगो का मन मोह लिया करते थे। अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर उसके पाप और अत्याचार का अंत किया। इस अवसर पर भक्तो ने भगवान की जय जयकार की। कथावाचक अतुल कृष्ण जी महाराज ने बताया कि भगवान की कथा श्रवण से मनुष्य को मुक्ति प्राप्त होती है। इसलिए लोगों को भगवान की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। चौथे दिन की कथा श्रवण में जिला पंचायत सदस्य अजय सोनी, लवलेश तिवारी, प्रदीप शुक्ला, मोनू पांडेय, शिवम पांडेय, गोवर्धन सिंह पटेल, राम शंकर यादव आदि मौजूद रहे।

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