जोशीमठ में खतरनाक होती स्थिति दीवारों को चीरकर निकलने लगा पानी ! सड़कों पर दरारें क्या धंस जाएंगे जोशीमठ के 500 से ज्यादा मकान…..

उत्तराखंड के जोशीमठ पर धंसने का खतरा बढ़ता जा रहा है. बिगड़ते हालातों के चलते वहां मौजूद एशिया के सबसे लंबे रोप-वे को बंद कर दिया गया है. लोग पलायन को मजबूर हैं. गुरुवार को वहां एक्सपर्ट की एक टीम भी पहुंची जिसमें गड़वाल के कमिश्नर सुशील कुमार भी शामिल थे.

हर तरफ जब उत्तराखंड के हल्द्वानी की चर्चा हो रही है, तब आपको जोशीमठ के उन हजारों लोगों का दर्द भी जानना चाहिए जो हल्द्वानी के लोगों की तरह ही अपने मकानों को बचाने के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, कैंडल मार्च निकाल रहे हैं और सरकार और अदालतों से अपने वैध मकानों को बचाने की गुहार भी लगा रहे हैं.

जोशमीमठ के संकट पर नजर डालना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर के इलाके में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. अगर ऐसा ही कोई भूकंप उत्तराखंड में आ गया तो जोशीमठ में भयंकर तबाही मच सकती है. ऐसा ही दावा कांग्रेस पार्टी ने भी किया था. उनका कहना था कि 2 रिक्टर स्केल के भूकंप भी वहां हालात बिगाड़ सकता है.

जोशीमठ के लोगों के सामने फिलहाल अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. वो हर समय किसी अनहोनी और आपदा के ख़तरे को लेकर डरे हुए हैं और अपने घर-परिवार और शहर को बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

जोशीमठ की पहचान उत्तराखंड के एक मशहूर पर्यटक स्थल की है, लेकिन इस वक्त जोशीमठ में धंसती जमीन, दीवारों पर आई बड़ी दरारें और चल रहे प्रदर्शन की तस्वीरें देश भर में अपनी पहचान बना रही हैं.

9 से ज्यादा इलाकों में 561 मकानों में दरारें

जोशीमठ के सभी नौ वार्ड- परसारी, रविग्राम, सुनील, अपर बाजार, नृसिंह मंदिर, मनोहर बाग, सिंहधार, मारवाड़ी और गांधी नगर में किसी न किसी मकान में दरारें आ गई हैं. साथ ही दरारें लगातार चौड़ी हो रही हैं. मतलब जोशीमठ के 9 से ज्यादा इलाकों के 561 घरों में दरारें आ गई हैं. कई जगहों पर जमीन धंस गई है तो कई जगह दीवारों से अचानक पानी निकल रहा है. जमीन धंसने की इन घटनाओं से लोग डरे हुए हैं. कई ऐसे हैं जो घर छोड़ने को मजबूर हैं.

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