पटना गांधी मैदान की वो रैली जिसने लिख दी नीतीश और लालू के अलगाव की कहानी, मंच से ..

नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने लगभग एक ही समय में राजनीति की शुरुआत की थी।

लेकिन लगभग 2 दशक तक साथ चलने के बाद 12 फरवरी 1994 को पटना में आयोजित ‘कुर्मी चेतना रैली’ के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।

नीतीश कुमार बाद के दिनों में बीजेपी के करीब आ गए वहीं लालू प्रसाद को कांग्रेस का सर्मथन मिलने लगा।

लेकिन बाद में नीतीश कुमार मंच पर पहुंचे और उन्होंने तत्कालिन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की सरकार के खिलाफ जमकर हुंकार भरा। उन्होंने मंच से कहा, ‘भीख नहीं अधिकार चाहिए’।

आरोप था कि लालू प्रसाद यादव समुदाय के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों की उपेक्षा कर रहे हैं। इस रैली की सफलता ने बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी। देखते ही देखते एक दशक बाद नीतीश 2005 में नीतीश पूर्ण बहुमत के साथ बिहार के मुख्यमंत्री भी बन गए।

हालांकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद दोनों ही नेताओं ने पुराने रिश्ते को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया, लेकिन नया गठबंधन भी अधिक दिनों तक नहीं चला।

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