इस पार्टी ने की बसपा में जाने की घोषणा , जानिए कितने मिलेंगे टिकट……

बसपा ने लखनऊ की दो विधानसभा सीटों सरोजनीनगर और लखनऊ उत्तर सीट से विधानसभा प्रभारियों की घोषणा कर दी है। बसपा जिसे विधानसभा प्रभारी घोषित करती है उसे ही उम्मीदवार बनाती है। बसपा के जिलाध्यक्ष अखिलेश अंबेडकर की देखरेख में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें लखनऊ उत्तर विधानसभा क्षेत्र से सरवर मलिक और सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से जलीस खान को विधानसभा उम्मीदवार घोषित किया गया।

आजाद भारत पार्टी डेमोक्रेटिक का बसपा में विलय

आजाद भारत पार्टी डेमोक्रेटिव का बसपा में विलय हो गया। बसपा राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के कार्यालय पर हुए इस विलय में वाल्मीकि समाज, सोनकर समाज, निषाद समाज, कश्यप समाज और युवा वर्ग ने बसपा को मजबूत करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि मायावती कभी नहीं सोचती कि किस समाज ने उनको वोट दिया। वह सर्व समाज के विकास करने का काम करती हैं। 2007 में सरकार बनने पर 1.10 लाख लोगों को तत्काल प्रभाव से नौकरियां दी गई थी। महान हस्तियों के स्मारकों और पार्कों के लिए मायावती और पार्टी ने 110 मुकदमे झेले हैं।

आजाद भारत पार्टी डेमोक्रेटिव के राष्ट्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र आजाद ने कहा कि हम सभी बहुजन वादी हैं यह हमारा वैचारिक विलय है। आज अगर दलित शोषित वंचित समाज का कोई भी नेता समाज में अपनी बात रख पा रहा है मंच से भाषण दे पा रहा है तो वह केवल बहन मायावती की वजह से। उन्होंने हर समाज के लोगों को मजबूत करने का काम किया है। आज हम पूर्ण रूप से अपनी पार्टी का विलय कर रहे हैं और 2022 चुनाव में बहन मायावती को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों मंडलीय बैठकें कर संगठन की समीक्षा कर रही हैं। बूथ स्तर तक बनने वाले संगठन में युवाओं के साथ महिलाओं को शामिल करने पर विशेष जोर देने को कहा है। इन दोनों वर्गों का एक ऐसा समूह तैयार करने का निर्देश दिया है जो विधानसभा चुनाव में बसपा को जीत दिलाने का काम करेंगे। बसपा सुप्रीमो ने 15 अक्तूबर तक हर हाल में संगठन के गठन का काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

हवा-हवाई नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट

मायावती ने मंडलावर बैठकों के दौरान संगठन गठन के साथ के साथ ही उम्मीदवारों के नामों पर भी विचार-विर्मश कर रही हैं। इस बार उसे ही उम्मीदवार बनाया जाएगा जो दागी नहीं है। इसके साथ ही क्षेत्र में उनका रिकार्ड ठीक होगा। स्थानीय नेताओं को ही उम्मीदवार बनाए जाने में प्राथमिकता दी जाएगी। बसपा के एक नेता के मुताबिक इस बार हवा-हवाई नेताओं को टिकट न देने पर सहमति बनी है। बसपा सुप्रीमो ने सेक्टर प्रभारियों को साफ निर्देश दिया है कि बाहरी लोगों का नाम भेजने से परहेज किया जाए। स्थानीय नेताओं को टिकट देने से दो फायदा होगा। पहला स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ से वोट मिलेगा और दूसरा विपक्षी बाहरी होने का आरोप नहीं लगा पाएंगे।

लापरवाही करने वालों को संगठन से हटाएं

सूत्रों का कहना है कि मंडलीय बैठक के दौरान सेक्टर प्रभारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि संगठन में कर्मठ और ईमानदार लोगों को रखा जाए। लापरवाह और गैर जिम्मेदार लोगों को जिम्मेदारी देने से बचा जाए। बसपा कॉडर आधारित पार्टी है और इसके दम पर वह कई बार सत्ता में आ चुकी है। इसलिए इस बार ऐसे लोगों से दूरी बना कर चला जाए तो केवल अपना हित साधने के लिए जुड़ते हैं। पुराने लोगों को आगे बढ़ाया जाए। कॉडर के पुराने लोगों को सलाह मशविरा किया जाए, जिससे चुनाव के दौरान उनके अनुभवों का लाभ लिया जा सके।

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