फूटा फिलिस्तीनी महिला का गुस्सा,बोली अरब देश कहा है? इजरायल के हमलों से ‘कब्रगाह’ बना…..

इजरायल, गाजा और फिलिस्तीन के आसमान पर इस वक्त जो सूरज चमक रहा है, उसकी किरणें खून से लसी हैं. जमीन के इन टुकड़ों पर हालात ऐसे हैं कि यहां पर पूरब से उगते और पश्चिम में ढलते सूरज को देखो तो आकाश किसी आईने की मानिंद लग सकता है. इस पर छायी लाली कुछ और नहीं बल्कि जमीन पर बिखरे मलबों पर आदमजात के जिस्मों से बह रहे लहू का अक्स है. ये बहता हुआ लाल लहू न इजरायल वालों का है, न फिलिस्तीन वालों का न गाजा वालों का और न हमास का. ये लहू केवल आदमियों का है.

जिन इलाकों में हफ्ते भर पहले ऊंची-ऊंची इमारते थें. उनमें घर और परिवार गुलजार थे. वहां ईंट-पत्थर, सरिया-बालू, जिस्म, मांस, खून, लाश सबकुछ बिखरा पड़ा है. किसी के लिए ये भारी-भरकम मलबा ही उसके लिए कब्र साबित हो रहा है. या तो चारों और चीखें ही चीखें हैं या फिर किसी के हिस्से की हर आवाज गुम हो चुकी है. पांव उठाओ तो उनके नीचे लाशें आ जाती हैं या फिर बुरी तरह कटे-फटे जिस्म. किसी में जान बाकी होती है तो उसकी चीख निकल जाती है या फिर उनकी रूह. जमीन पर पड़े बहुत से बेसुध शरीरों में या तो कुछ आखिरी सांसें ही बची मिलती हैं, या फिर खंडहर और मिट्टी हो चुके हर आलम के बीच ये जिस्म भी सिर्फ मिट्टी भर ही रह जाते हैं.

ये जगह गाजा पट्टी का खान यूनिस इलाका है. गाजा पट्टी ही वह जगह है, जहां से जंग के जुनून की शुरुआत हुई और इजरायल पर हमला हआ, लेकिन इस खूनी जुनून का खामियाजा यहां की जनता अपना खून बहाकर भुगत रही है. इजरायल से बर्बरता की सामने आने वाली तस्वीरों से यहां की तस्वीरें कुछ कम भयावह नहीं है. बात वही एक, जनता तो आखिर जनता ही है. चाहे इजरायल की हो या गाजा की या फिर फिलिस्तीन की. जब खैरख्वाह जिम्मेदारों के सिर पर हदों को पार करने का जुनून चढ़ता है तो इसकी भरपाई जनता के सिर काटकर और उनका खून बहाकर ही होती है.

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