लाल बत्ती को देखने एवं उसमें बैठने तक का सफर जिलाधिकारी अंशुल कुमार टॉप रैंकिंग पर अव्वल, वहीं जिला अररिया फ़ीसदी…

बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जिला स्तर पर योजनाओं एवं कार्यों की समीक्षा की गई है। जहां अररिया जिला सबसे नीचे पायदान पर, जबकि पटना जिला नीचे से पांचवें स्थान पर रहा, बांका के डीएम अंशुल कुमार पहले स्थान पर हैं। जो बांका के लिए गर्व करने की बात..

नंबर:-1 का ताज बांका तो सबसे अंतिम पायदान अररिया का रहा, पटना वाले ‘साहब’ को नीचे से 5वां स्थान मिले

बताते चलें, इस रैंकिंग को वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट में शामिल करने की सिफारिश की जाएगी, टॉप पर बांका तो सबसे अंतिम पायदान अररिया का रहा, पटना वाले ‘साहब’ को नीचे से 5वां स्थान मिले;
अररिया के जिलाधिकारी अनिल कुमार को रैंकिंग में सबसे कम 20.9 अंक मिले हैं
बांका के जिलाधिकारी अंशुल कुमार ने 56.80 अंकों के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया राजधानी पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह को भी निचले पांच जिलों में मिली जगह, जानकारी के लिए बता दूं, जिलाधिकारियों (DM) की पहली बार रैंकिंग जारी हुई है और इसमें अररिया सबसे फिसड्डी जिला साबित हुआ है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह रैंकिंग सभी जिलों में विभाग से संचालित योजनाओं और कार्यों की समीक्षा के बाद जारी की है। इस रैंकिंग में डीएम के प्रदर्शन को आठ मानदंडों पर परखा गया है, जिनमें दाखिल-खारिज के मामलों का निपटारा, ‘परिमार्जन प्लस’ योजना, ‘अभियान बसेरा-2’, आधार सीडिंग, और एडीएम कोर्ट की निगरानी शामिल हैं।

अररिया के डीएम अनिल कुमार को इस रैंकिंग में सबसे कम 20.9 अंक मिले हैं, जबकि बांका के डीएम अंशुल कुमार 56.80 अंकों के साथ शीर्ष पर

कुल मिलाकर देखा जाए, इस रैंकिंग में सबसे महत्वपूर्ण मानदंड दाखिल-खारिज और ‘परिमार्जन प्लस’ हैं, जिनके लिए कुल 100 में से 50 अंक निर्धारित किए गए हैं। अररिया के डीएम अनिल कुमार को इस रैंकिंग में सबसे कम 20.9 अंक मिले हैं, जबकि बांका के डीएम अंशुल कुमार 56.80 अंकों के साथ शीर्ष पर रहे हैं। दूसरे और तीसरे स्थान पर शेखपुरा के आरिफ अहसान (51.33 अंक) और सिवान के मुकुल कुमार गुप्ता (42.68 अंक) रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह को भी इस रैंकिंग में निचले से पांच जिलों में जगह मिली है। उन्हें कुल 26.92 अंक मिले हैं। रैंकिंग में शामिल अन्य जिलों में सहरसा (25.11 अंक), पश्चिम चंपारण (26.03 अंक), और नवादा (26.61 अंक) भी निचले पायदान पर रहे हैं। वहीं, अगर रैंकिंग में शामिल मानदंडों पर विस्तार से नजर डालेंगे तो दाखिल-खारिज के मामलों का त्वरित निपटारा सबसे महत्वपूर्ण है। ‘परिमार्जन प्लस’ योजना का उद्देश्य भूमि संबंधी अभिलेखों को डिजिटल करना है, जबकि ‘अभियान बसेरा-2’ के तहत भूमिहीनों को आवासीय पट्टे दिए जाते हैं। आधार सीडिंग का काम भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलती है।

इस रैंकिंग का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए डीएम को प्रोत्साहित करना है

इस रैंकिंग से साफ है कि राज्य में भूमि संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन में अभी भी कई कमियां दिखाई देती हैं। सबसे कम अंक पाने वाले जिलों को अपने प्रदर्शन में कड़ी सुधार के साथ ठोस कदम उठाने की जरूरत है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा अब इस रैंकिंग को डीएम के वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट में शामिल करने की सिफारिश राज्य सरकार से करेगा। विभाग का मानना है कि इससे डीएम भूमि संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर अधिक तत्परता से कड़ी मेहनत के साथ कार्य करेंगे। दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस रैंकिंग का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए डीएम को प्रोत्साहित करना है, ताकि आम जनता का भला हो सके।

रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा

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