लव जिहाद पर भिड़े स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और BJP सांसद! शंकराचार्य बोले बीजेपी लव जिहाद पर करती …..

मेरठ में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और सांसद राजेंद्र अग्रवाल में लव जिहाद पर बहस हो गई। शंकराचार्य ने कहा कि लव जिहाद पर कानून बनाने से क्या होगा। यह भाजपा की ही दोहरी नीति है। वहीं सांसद ने शंकराचार्य का विरोध करते हुए कहा कि मैं आपको संन्यासी नहीं मानता हूं। विवाद बढ़ा तो शंकराचार्य के सेवकों ने सांसद को खींचकर कमरे से बाहर निकाल दिया।

बुधवार को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मेरठ में गढ़ रोड़ स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान शंकराचार्य ने लव जिहाद पर बड़ा बयान दिया। शंकराचार्य ने कहा, “एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी लव जिहाद का विरोध करती है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री संघ प्रचारक रामलाल की बेटी की शादी में आशीर्वाद देने पहुंचते हैं, जबकि उनकी बेटी की शादी मुस्लिम युवक से हुई है।”

आरएसएस के पदाधिकारी ने शंकराचार्य का विरोध किया
इस पर मंदिर में मौजूद आरएसएस के पदाधिकारी विनोद भारती भड़क गए। विनोद ने विरोध जताते हुए कहा कि रामलाल अविवाहित हैं, उनकी भतीजी की शादी थी, जिसमें प्रधानमंत्री पहुंचे। आपको ऐसा नहीं बोलना चाहिए। इस पर शंकराचार्य नाराज हो गए। उन्होंने कहा, “संघियों का यही रवैया है। अब तुम मुझे सिखाओगे, मुझे क्या बोलना चाहिए। मैंने कुछ गलत नहीं बोला है।”

सांसद को शंकराचार्य के सेवकों ने खींचकर कमरे से बाहर निकाला
इसी बीच भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल भी शंकराचार्य के दर्शन को पहुंच गए। उन्होंने विवाद के विषय में बात करना चाहा तो शंकराचार्य ने कहा कि भाजपाई और आरएसएस के पदाधिकारियों से वह बात नहीं करेंगे। इस पर सांसद ने नाराजगी जताते हुए कहा, “मैं आपको भी संन्यासी नहीं मानता हूं।” इस बीच दोनों में तीखी बहस हुई। इसके बाद शंकराचार्य के सेवकों ने सांसद को खींचकर कमरे से बाहर निकाल दिया। मौके पर मौजूद लोगों ने बीच बचाव कर मामला शांत कराया।

शंकराचार्य बोले- दो तरह के हिंदू हो रहे हैं
वहीं मीडिया से बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा, “राष्ट्रीय स्वयं संघ के मोहन वैद्य ने कहा था कि हमारे उत्तर पूर्व के 30 हजार स्वयं सेवक गो-मांस खाते है। हम किसी के खाने-पीने पर रोक नहीं लगाते है। जब तुम्हारे सेवक गाय का मांस भी खाए, मुसलमान में विवाह भी करें, तब भी वह हिंदू, और हम उनसे परहेज करें तब भी हिंदू। तब दोनों के कैसे बनेंगे। इसका मतलब दो तरह के हिंदू हो रहे हैं। हम तो सनातनी के आचार्य हैं, और सनातनी के ही आचार्य बने रहना चाहते हैं। सबमें परमात्मा को देखो, किसी का अपमान मत करो। लेकिन अपनी परंपरा और संस्कृति को बनाए रखते हुए संस्कृति का संकरीकरण मत करो।

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