“सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी: क्या आज के युवा खुद को पुरानी पीढ़ी से श्रेष्ठ समझते हैं?”……..

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान एक तल्ख टिप्पणी की, जिसमें कहा गया कि आजकल के युवा यह मानते हैं कि वे बहुत होशियार हैं और पुरानी पीढ़ी से कहीं अधिक समझदार हैं। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जज ने समय रैना मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें अदालत ने यह भी कहा कि युवा वर्ग को अपनी सोच में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है और पुरानी पीढ़ी से सीखने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आजकल के युवा सोचते हैं कि वे सब कुछ जानते हैं और यह मानते हैं कि पुरानी पीढ़ी से उन्हें कोई सीखने की जरूरत नहीं है। लेकिन वे यह नहीं समझते कि जो अनुभव हमें पुरानी पीढ़ी से मिला है, वही अनुभव आज की पीढ़ी के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।”

अदालत ने यह भी कहा कि नई पीढ़ी को इस बात का अहसास होना चाहिए कि ज्ञान और अनुभव का कोई विकल्प नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि युवा अपनी सोच में बदलाव लाकर अधिक परिपक्वता दिखा सकते हैं और समाज के लिए बेहतर योगदान दे सकते हैं।

इस टिप्पणी को लेकर कई कानूनी और समाजिक हलकों में चर्चा छिड़ गई है, जहां कुछ लोग मानते हैं कि यह समय रैना मामले के संदर्भ में एक उचित टिप्पणी है, वहीं कुछ लोग इसे युवा वर्ग के प्रति अनुचित आलोचना मानते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी युवा वर्ग के मानसिकता और उनके दृष्टिकोण पर एक नई बहस को जन्म देती है।

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