तबलीगी जमात के मामले में कई मीडिया संस्थानों की गलत रिपोर्टिंग पर सवाल उठाने वाली जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की कि सरकार तब तक हरकत में नहीं आती जब तक कि कोर्ट उन्हें निर्देश नहीं देती। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि हमने ये अनुभव किया है कि सरकार कार्रवाई नहीं करती जब तक कि हम निर्देश जारी नहीं करते।
पीठ ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग की झूठी या आग लगाने वाली रिपोर्टिंग पर एनबीए और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की रिपोर्ट देखने के बाद आगे सुनवाई होगी।पीठ ने ये टिप्पणी तक की जब याचिकाकर्ता के वकील दुश्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि मरकज मामले में मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की थी और ऐसे में सिर्फ सरकार चाहे तो एक्शन ले सकती है। मीडिया में सेल्फ गवर्निंग बॉडी है, लेकिन सरकार ही एक्शन ले सकती है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता प्रतीक कपूर ने आज पीठ को बताया कि निकाय ने झूठी या आग लगाने वाली रिपोर्ट के 50 उदाहरणों का संज्ञान लिया है और जल्द ही अर्ध-न्यायिक आदेश पारित किए जाएंगे।
एडवोकेट निशा भंबानी के प्रतिनिधित्व वाले एनबीए ने कोर्ट को बताया कि उसे लगभग 100 शिकायतें मिली हैं। उच्चतम न्यायालय ने 27 मई को उस याचिका पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा ए हिंद ने अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया है कि कुछ टीवी चैनलों ने तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज की घटना से संबंधित फर्जी खबरें दिखाईं।