आपको बता दे की कोटा जो देश की कोचिंग राजधानी के रूप में जाना जाता है, अब एक और बड़ी समस्या का सामना कर रहा है जैसे छात्रों को नशीली दवाओं की लत लगना। विशेषज्ञों का कहना है कि अकादमिक दबाव और अकेलापन छात्रों को आत्महत्या की ओर धकेल रहा है, और अब उन्हें नशीली दवाओं की ओर ले जा रहा है। पुलिस द्वारा हाल ही में चलाए गए अभियान के दौरान 100 से अधिक नशीली दवाओं के तस्करों और उनके बॉसों को गिरफ्तार किया गया है, जिससे एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरफ्तारी कोटा के छात्रों के बीच नशीली दवाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
कोटा की पुलिस अधीक्षक अमृता दुहन ने बताया कि शहर में छात्रों और अन्य युवाओं को नशीली दवाओं की ओर लुभाने और उन्हें नशीली दवाएं पहुंचाने के आरोप में 124 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
आपको बता दे की कोटा में हर साल लाखों छात्र इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं।
जानकारी के मुताबिक एक छात्र ने बताया की माता-पिता की ज्यादा अपेक्षाएं और ज्यादा अंक लाने का दबाव ने उन्हें नशीली दवाओं की तरह छिच लिया है जब एक और छात्र से पूछा तो उसने कहा की “मेरे दोस्तों ने मुझे इसे आजमाने के लिए कहा। मैंने इसे लिया, लेकिन इसे सूंघ लिया और इंजेक्ट नहीं किया।” मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल कोटा में 27 छात्र आत्महत्याएं हुईं – इसकी सबसे अधिक संख्या – पिछले वर्ष की 15 की तुलना में। इसके परिणामस्वरूप, राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने कई उपायों की घोषणा की, जिनमें शहर में कोचिंग सेंटरों में 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के प्रवेश पर प्रतिबंध शामिल है।
रिपोर्ट :- कनक चौहान