देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के मौके पर लोकसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस दौरान संसदीय यात्रा की शुरुआत, उपलब्धियां, अनुभव, स्मृतियां और उनसे मिली सीख के मुद्दे पर बोलते हुए संसद से जुड़ी यादें साझा कीं।
पीएम ने पुराने संसद भवन की कई यादों के अलावा इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान के बारे में भी जिक्र किया। पीएम ने इस दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु के ट्रिस्ट ऑफ डेस्टिनी भाषण की तारीफ से लेकर अपनी सरकार के दौरान हुए बदलावों को भी संसद के सामने रखा।
मोदी ने पंडित नेहरू को याद करते हुए कहा,नेहरूजी का इसी सदन में दिया गया ‘एट द स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट’ भाषण हम सबको प्रेरित करता रहेगा। इसी सदन में अटल जी ने कहा था कि सरकारें आएंगी और जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए
पीएम मोदी क्या बोले शास्त्री जी के बारे में —
‘लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1965 के युद्ध में देश के जवानों का हौसला इसी सदन से बुलंद किया था। यहीं उन्होंने हरित क्रांति की मजबूत नींव रखी थी।’
इंदिरा गांधी —
‘बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था। इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था। भारत के लोगों की ताकत का अहसास कराते हुए मजबूत लोकतंत्र की वापसी भी इसी सदन ने देखी।’
अटल सरकार —
‘अटलजी की सरकार के समय तीन राज्यों का गठन सर्वस्वीकृति से हुआ। छत्तीसगढ़ का गठन हुआ तो उत्सव छत्तीसगढ़ ने भी मनाया और मध्यप्रदेश ने भी मनाया। यह सदन का सामर्थ्य है। कुछ कड़वी यादें भी हैं। तेलंगाना के हक को दबोचने के प्रयास हुए। न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया। कटुता के बीज बो दिए गए।’
अपनी सरकार पर क्या बोले मोदी–
‘सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय और दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ था। अनुच्छेद 370 के लिए यह सदन हमेशा गर्व से कहेगा कि यह इसी सदन की वजह से हटा। एक देश, एक टैक्स यानी जीएसटी का निर्णय भी इसी सदन ने किया।
वन रैंक, वन पेंशन भी इसी सदन ने देखी। गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण पहली बार इस देश में हुआ।और कहा की भारत के लोकतंत्र में तमाम उतार-चढ़ाव हमने देखे। ये सदन लोकतंत्र की ताकत है और उस ताकत का साक्षी है।
इस सदन की विशेषता देखिए दुनिया के लोगों को अचरज होता है कि यहां कभी चार सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी, सौ सदस्यों वाली पार्टी विपक्ष में बैठती थी।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के मौके पर लोकसभा को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने इस दौरान संसदीय यात्रा की शुरुआत, उपलब्धियां, अनुभव, स्मृतियां और उनसे मिली सीख के मुद्दे पर बोलते हुए संसद से जुड़ी यादें साझा कीं।
पीएम ने पुराने संसद भवन की कई यादों के अलावा इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान के बारे में भी जिक्र किया। पीएम ने इस दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु के ट्रिस्ट ऑफ डेस्टिनी भाषण की तारीफ से लेकर अपनी सरकार के दौरान हुए बदलावों को भी संसद के सामने रखा।
मोदी ने पंडित नेहरू को याद करते हुए कहा,नेहरूजी का इसी सदन में दिया गया ‘एट द स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट’ भाषण हम सबको प्रेरित करता रहेगा। इसी सदन में अटल जी ने कहा था कि सरकारें आएंगी और जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए
पीएम मोदी क्या बोले शास्त्री जी के बारे में —
‘लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1965 के युद्ध में देश के जवानों का हौसला इसी सदन से बुलंद किया था। यहीं उन्होंने हरित क्रांति की मजबूत नींव रखी थी।’
इंदिरा गांधी —
‘बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था। इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था। भारत के लोगों की ताकत का अहसास कराते हुए मजबूत लोकतंत्र की वापसी भी इसी सदन ने देखी।’
अटल सरकार —
‘अटलजी की सरकार के समय तीन राज्यों का गठन सर्वस्वीकृति से हुआ। छत्तीसगढ़ का गठन हुआ तो उत्सव छत्तीसगढ़ ने भी मनाया और मध्यप्रदेश ने भी मनाया। यह सदन का सामर्थ्य है। कुछ कड़वी यादें भी हैं। तेलंगाना के हक को दबोचने के प्रयास हुए। न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया। कटुता के बीज बो दिए गए।’
अपनी सरकार पर क्या बोले मोदी–
‘सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय और दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ था। अनुच्छेद 370 के लिए यह सदन हमेशा गर्व से कहेगा कि यह इसी सदन की वजह से हटा। एक देश, एक टैक्स यानी जीएसटी का निर्णय भी इसी सदन ने किया।
वन रैंक, वन पेंशन भी इसी सदन ने देखी। गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण पहली बार इस देश में हुआ।और कहा की भारत के लोकतंत्र में तमाम उतार-चढ़ाव हमने देखे। ये सदन लोकतंत्र की ताकत है और उस ताकत का साक्षी है।
इस सदन की विशेषता देखिए दुनिया के लोगों को अचरज होता है कि यहां कभी चार सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी, सौ सदस्यों वाली पार्टी विपक्ष में बैठती थी।