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जब हम “मां” कहते हैं तो एक ममतामयी गोद याद आती है, लेकिन जब “पिता” कहते हैं, तो एक ऐसा साया याद आता है जो धूप में खड़ा रहकर भी अपने बच्चों पर छांव बनकर रहता है।
पिता बोलता कम है, लेकिन करता बहुत कुछ है। उसकी हर खामोशी के पीछे एक कुर्बानी छुपी होती है, एक फ़िक्र होती है, एक ख़्वाहिश होती है कि उसका बच्चा उससे भी बेहतर ज़िंदगी जिए।
मैं हमेशा ही हर मौके और टापिक पर लिखने की कोशिश करता हूं, लेकिन जब माता-पिता पर कुछ लिखने की कोशिश करता हूं तो बहुत भावुक हो जाता हूं।
लेकिन मेरी बदनसीबी है आज मेरे माँ बाप इस दुनिया को छोड़कर चले गये दुआ करेँ अल्लाह उनकी मग़फ़िरत फ़रमाए।
अगर आपके माँ बाप जीवित है तो उनकी कद्र कर लीजिये , यह रब की वह नेमत है जो जाने के बाद कभी वापस नहीं मिल सकती।
पैगम्बर ए इंसानियत हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैयहि वसल्लम ने फ़रमाया…
“पिता जन्नत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा है, चाहे तो उसे ज़ाया कर दो या उसकी हिफ़ाज़त करो।”
यानि अगर कोई इंसान अपने पिता की इज्ज़त करता है, उनकी खिदमत करता है, तो वह जन्नत का रास्ता आसान कर रहा है। और जो अपने पिता को दुख देता है, वह इस दरवाज़े को खुद अपने लिए अपने ही हाथों से बंद कर रहा है।
पिता की मोहब्बत न नज़रों में नज़र आती है, न अल्फ़ाज़ों में ढलती है।
वो अपने बच्चों की खुशियों के लिए अपने ख्वाबों को कुरबान कर देता है।
जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता है, तो मां रोती है, लेकिन पिता छुट्टी लेकर दूर से देखता है कि बच्चा डर तो नहीं रहा।
जब बच्चा पहली बार साइकिल चलाता है, पिता पीछे से पकड़कर उसे गिरने से बचाता है, और जब बच्चा गिरता है, तो दर्द खुद पिता के सीने में होता है।
हम सबके रब ने क़ुरान में फ़रमाया..
“और हमने इंसान को अपने मां-बाप के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया है…”
[सूरह अन्कबूत: 8]
“और तुम्हारे रब ने फैसला कर दिया कि तुम सिर्फ उसी की इबादत करो और मां-बाप के साथ अच्छा सुलूक करो…”
[सूरह बनी इसराईल: 23]
कभी अपने पिता को नमाज़ में देखो, शायद उन्होंने अल्लाह से तुम्हारे लिए वो मांगा हो, जो तुम खुद अपने लिए न मांग पाए।
पिता की दुआ खामोश होती है, लेकिन उसका असर बुलंद होता है।
जैसे हज़रत इब्राहीम अ.स. अपनी औलाद हज़रत इस्माईल अ.स. के लिए दुआएं करते थे।
अगर तुम औलाद वाले हो, तो कल्पना करो, जितनी मुहब्बत तुम अपनी औलाद से करते हो, तुम्हारे माता-पिता तुमसे उससे भी कई गुना ज्यादा मुहब्बत करते हैं, कभी उनका दिल न दिखाओ, कभी उनसे ऊंची आवाज़ में बात मत करो, चाहे तुम कितना भी कमाते हो।
आज दुनिया फादर्स डे मना रही है, ऐसे डे वह लोग मनाते हैं जिनको अपने माता पिता को देने के लिए साल में सिर्फ एक दिन होता है।
वरना हमारे लिए तो हर दिन मदर्स डे और और फ़ादर्स डे है।
क्या कोई ऐसा दिन भी है जो इनके बिना गुज़रे..?
अपने वालिदैन के हर दिन पैर दबाओ।
हर दिन सिर दबाओ, सिर की मालिश करो।
और फिर अपने माता पिता से लिपट जाओ और फिर उनसे कहो…
आप मेरी जन्नत हैं।
अल्लाह हम सभी को अपने मां-बाप की खिदमत करने वाला बनाए और हमारे लिए जन्नत का ज़रिया बने। आमीन।
मुहम्मद साकिब खान