देशभर में राजद्रोह कानून खत्म ipc crpc में कई नए बदलाव!आतंकवाद की परिभाषा……

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए बिल पेश किए. इसमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023 शामिल हैं. अब संसदीय पैनल की ओर से इन बिलों की स्क्रूटनी की जाएगी. ये तीनों बिल इंडियन पीनल कोड 1860 (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 (CrPC) और एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे. ये तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के हैं. IPC में 533 धारा कम हो जाएंगी,133 नई धाराएं जोड़ी जाएंगी. 9 धारा को बदल दिया गया है. नए बिल में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है. साथ ही मॉब लिंचिंग, नाबालिगों पर यौन हमलों के लिए मृत्युदंड, रेप के लिए अधिकतम 20 साल की कैद और पहली बार छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है. ये तीनों बिल अभी पास नहीं हुए हैं. लेकिन इन विधेयकों से कई बड़ी बातें निकलकर सामने आई हैं.

गृहमंत्री अमित शाह ने इन बिलों को पेश करते हुए कहा कि पुराने कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन को मजबूत बनाना और उसकी सुरक्षा करना था, इनके जरिए लोगों को न्याय नहीं, सजा दी जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. शाह ने लोकसभा में कहा कि मैं सदन को आश्वस्त कर सकता हूं कि ये विधेयक हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे. हमारा उद्देश्य दंड देना नहीं, बल्कि न्याय प्रदान करना होगा. अपराध रोकने की भावना पैदा करने के लिए दंड दिया जाएगा. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए पुराने कानून गुलामी के संकेतों से भरे हुए थे, जिनका उद्देश्य उनके शासन का विरोध करने वालों को दंडित करना था.

IPC-CrPC के नए वर्जन में ये बड़े बदलाव किए गए हैं…
राजद्रोह शब्द हटाया, अब ये होगा नया प्रावधान

अमित शाह ने कहा कि देशद्रोह कानून पूरी तरह से रद्द किया जाएगा. यह लोकतंत्र है, हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है. लिहाजा नए बिल में देशद्रोह शब्द हट गया है, लेकिन नए प्रावधान के मुताबिक कोई भी इरादतन या जान-बूझकर, बोले या लिखे गए शब्दों से, संकेतों से, कुछ दिखाकर, इलेक्ट्रॉनिक संदेश से, वित्तीय साधनों के उपयोग से, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह को, विध्वंसक गतिविधियों को, अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता है या उकसाने का प्रयास करता है, या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है, या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है, तो उसे आजीवन कारावास या कारावास की सज़ा दी जाएगी, जिसे 7 साल तक किया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

पहली बार आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया

भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली बार आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया गया है जो IPC के तहत शामिल नहीं था. गृहमंत्री ने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी. पहली बार कानून के तहत आतंकवाद को परिभाषित किया गया है.

मॉब लिंचिंग पर क्या है सजा का प्रावधान?

नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है. जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा. इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा.

पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने वाला कानून खत्म

अप्राकृतिक यौन अपराध (UNNATURAL SEXUAL OFFENCES) धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है. लिहाजा पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है. पाशविकता के विरुद्ध कोई कानून नहीं है. नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत फैसले में कहा था कि “सहमति देने वाले वयस्कों” पर “अप्राकृतिक कृत्यों” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

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