मौसम विभाग में अगले कुछ दिनों के लिए बादल फटने की चेतावनियां जारी की है। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के ऊपरी हिस्से समेत नॉर्थ ईस्ट के कुछ पहाड़ी इलाकों पर ज्यादा बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मौसम विभाग एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा और शिमला जिले के ऊपरी हिस्से में लगातार बारिश और बादल फटने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों के अलावा नार्थ ईस्ट के इलाकों में भी लगातार हो रही बारिश को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी नजर बनी हुई है। असम में आई बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत कर राज्य के हालातों के बारे में चर्चा की। केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक गृहमंत्री ने राज्य के हालातों पर नजर रखने और जरूरत के मुताबिक सभी उपायों को करने के निर्देश दिए हैं।
इसी तरह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रही बारिश और उससे बचाव को लेकर निगरानी करने और तुरंत मदद पहुंचाने के लिए राज्य से संपर्क करने के लिए टीम का गठन किया है। असम की तर्ज पर ही उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम लगातार अपडेट ले रही है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जिन राज्यों में एनडीआरएफ या अन्य एजेंसियों की मदद की जरूरत पड़ रही है वहां पर इनको तैनात किया जा रहा है।
मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का मानना है कि जिस तरीके से बीते कुछ दिनों से पहाड़ों पर बादल फटने की घटनाएं हुई हैं, वह कोई सामान्य घटना नहीं है। पर्यावरणविद् और मौसम पर करीब से नजर रखने वाली इंटरनेट सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड क्लाइमेट चेंज की चेतना वैष्णवी कहती हैं कि लगातार पहाड़ों पर बादल फटने की घटना बिल्कुल सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती है। वह कहती हैं बीते कुछ सालों में होने वाली बारिश को अगर आप देखेंगे, तो पाएंगे कि पूरे मानसून की बारिश चंद दिनों में ही हो रही है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों से तबाही मचा रहे बादल इस ओर इशारा कर रहे हैं कि सब कुछ सामान्य नहीं है। पर्यावरणविद डॉक्टर जेपी तनेजा कहते हैं कि बारिश में होने वाले इस परिवर्तन को चेतावनी के तौर पर ही लेना चाहिए।
बादल का फटना—
मौसम वैज्ञानिक सुरेंदर देसाई कहते हैं कि बादल फटने का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता है कि आकाश में बना हुआ बादल एकदम से गुब्बारे की तरह फट कर पूरा पानी एक जगह पर उड़ेल दे। सुरेंद्र देसाई कहते हैं बादल फटने की घटना तब होती है जब एक साथ बहुत ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर ही रुक जाते हैं। चूंकि बादलों में इतनी ज्यादा नमी होती है और बादलों के रुकने से बूंदों का वजन बढ़ने लगता है। ऐसी दशा में बादलों का घनत्व भी बढ़ जाता है। इन हालातों में मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है, जिसको बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहते हैं।
मौसस वैज्ञानिक सुरेंद्र देसाई कहते हैं कि पहाड़ों पर यह घटनाएं इसलिए सबसे ज्यादा होती है क्योंकि उनकी ऊंचाई के बीच में बादल फंस जाते हैं और अपनी इसी प्रक्रिया की वजह से बादल फट जाते हैं। वह कहते हैं कि बादल फटने की घटना के दौरान 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पानी बरसता है।