Special Report by Abhijit Sharma
SCAORA vs ED: न्याय की आत्मा पर चोट?
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट की सबसे प्रमुख वकीलों की संस्था SCAORA (Supreme Court Advocates-on-Record Association) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई पर गहरी आपत्ति जताई है। संस्था ने एक कड़ी और तीखी चिट्ठी के जरिए सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को भेजे गए समन (Summons) का संज्ञान ले।
SCAORA ने इसे “गंभीर रूप से चिंताजनक घटनाक्रम” (Deeply Disquieting Development) करार दिया है।
⚖️ कौन हैं प्रताप वेणुगोपाल?
प्रताप वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और कई हाई-प्रोफाइल मामलों में उन्होंने पैरवी की है। उनके खिलाफ ED की यह कार्रवाई वकीलों की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है।
📌 SCAORA ने क्यों जताई चिंता?
संस्था का कहना है कि अगर वकीलों को उनके पेशेवर कार्यों के लिए सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया जाएगा, तो यह न्याय प्रणाली की आत्मा पर हमला होगा।
वकीलों की आज़ादी और निष्पक्षता लोकतंत्र की रीढ़ हैं।
🔍 अब सवाल यह उठता है:
क्या ED की यह कार्रवाई केवल एक जांच प्रक्रिया है या किसी दबाव का हिस्सा?
क्या आने वाले समय में वकील अपने क्लाइंट्स की पैरवी करते समय डरे रहेंगे?
SCAORA ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह इस विषय में स्वतः संज्ञान (Suo Moto) ले और यह सुनिश्चित करे कि वकीलों को उनके पेशेवर दायित्वों के लिए सज़ा न दी जाए।
👉 यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र की गरिमा से जुड़ा है।