बोली प्रियंका गांधी “लड़की हूँ लड़ सकती हूँ ” यह सिर्फ़ नारा नहीं, क्रांति हैं …..

कांग्रेस की आन, बान, शान, गरीब, मजदूर, मजलूम, बेरोजगार, किसान, नौजवान, शिक्षित, बेरोजगार महिलाओं, दलित, आदिवासी, पिछड़े छात्र-छात्राओं का भविष्य देश का भविष्य अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी हैं : संजीव कुमार सिंह

यूपी। राष्ट्रीय नेता, इंडियन नेशनल कांग्रेस एआईसीसी पर्यवेक्षक प्रभारी, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सदस्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स सचिव, कांग्रेस किसान एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ, कानूनी सलाहकार सदस्य, चुनाव प्रचार समिति बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और आसाम एवं लोकसभा चुनाव 2024 में पद के दावेदार ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने के एलान के साथ नारा दिया, ‘मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ।’ यह नारा बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन यह सिर्फ़ नारा नहीं क्रांति हैं। वहीं, जातिगत उत्पीड़न पर प्रियंका लगातार सक्रिय हैं। इसलिए प्रियंका स्त्री उत्पीड़न, असमानता और भेदभाव के मुद्दों पर अधिक मुखर हैं। एक स्त्री होने के नाते इन मुद्दों पर उनकी नाराजगी और जुझारुपन जाहिर तौर पर आधी आबादी को बहुत आकर्षित करता है। इसकी बानगी भी देखने को मिल रही है। बनारस में एक महिला पुलिसकर्मी से उनके मिलने की तसवीरें खूब वायरल हुई हैं। उनके संघर्षशील व्यक्तित्व पर इंदिरा गाँधी की छवि और अभिजात संघर्ष खूब फबता है। प्रियंका के प्रति लोगों की हमदर्दी कांग्रेस के लिए वोट की गारंटी हो सकती। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान प्रियंका गांधी को यूपी की कमान सौंपकर उचित कदम उठा रहा है। इसीलिए प्रियंका गांधी को सबसे मुश्किल प्रदेश की प्रभारी बनाया गया है। उन्नाव बलात्कार पीड़िता से लेकर हाथरस में दलित लड़की के बलात्कार और हत्या पर उन्होंने केंद्र और यूपी सरकार को बुरी तरह से घेरा था। इसी तरह सोनभद्र के उंभा में लड़की की हत्या के खिलाफ संघर्ष किया। खेतों की पगडंडियों पर चलते और गलियों- नालियों को फांदते हुए प्रियंका महिलाओं को न्याय के लिए लड़ने का भरोसा देती हैं। उन्हें ढाढस बंधाती हैं। पिछले दिनों पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपाइयों द्वारा समाजवादी पार्टी की एक महिला सदस्य की साड़ी खींचने का वीडियो वायरल हुआ था। लखीमपुर की इस महिला से मिलने प्रियंका जाती हैं। उसके साथ खड़ी होती हैं।

श्री सिंह ने बताया कि इलाहाबाद में निषादों की नावें तोड़ने से लेकर लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने और आगरा में अरुण वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में प्रियंका ने विपक्ष की उल्लेखनीय भूमिका अदा की है। सफाई कर्मी अरुण वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद उसके परिवार से मिलने आगरा जाते हुए रास्ते में कुछ महिला पुलिसकर्मियों की सेल्फी की तसवीरें चर्चे में हैं। महिला पुलिसकर्मियों के प्रियंका के साथ सेल्फी लेने से भयभीत यूपी सरकार ने उनके खिलाफ जाँच बैठा दी है। ठीक उसी दिन लखनऊ के 1090 चौराहे पर दुर्घटना में घायल एक लड़की की मलहम पट्टी करते हुए प्रियंका का वीडियो वायरल हुआ। ऐसा लगता है कि प्रियंका ने यूपी की सियासत का रंग बदलने की ठान ली है। प्रियंका भगवा राजनीति को पिंक यानी गुलाबी रंग में रंगना चाहती हैं। यह रंग यूपी की सियासत पर चढ़ रहा हैं। यह रंग जितना ही चटख होगा, भगवा उतना ही फीका होगा। प्रियंका स्त्री उत्पीड़न के मुद्दों पर हमेशा संघर्ष करती रही हैं। इन तमाम घटनाओं में प्रियंका पीड़ित परिवारों के घर जाकर महिलाओं से बेहद सहज और आत्मीय भाव से मिलती हैं। उनका दुख दर्द बाँटती हैं, न्याय दिलाने का वादा करती हैं। इसके लिए वह सड़क पर जूझती नजर आती हैं, हिरासत में रहती हैं। क्योंकि मुसीबतों से ही निखरती हैं शख्सियत दोस्तों, जो चट्टानों से न उलझें वो झरना किस काम का हैं। प्रियंका गांधी की असहायों और गरबों के लिए राजनीति बेहद सराहनीय है। वह प्रेम, सौहार्द और आत्मीयता की राजनीति कर रही हैं।

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