टूट के कगार पर JJP गठबंधन करने का परिणाम अब पांच विधायक आउट ऑफ रीच….

गठबंधन में होते हुए भी एक दूसरे को मात देने के लिए चल रहे शह और मात के खेल में आखिरकार जजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भाजपा के चक्रव्यूह में फंस गए। जजपा को बड़ा झटका देते हुए आनन-फानन मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर पूरा खेल ही पलट दिया। न तो आधिकारिक रूप से गठबंधन तोड़ने का आरोप लगा और न ही जजपा का साथ रहा। उल्टा जजपा के पांच विधायकों को भाजपा ने साध लिया है और दुष्यंत चौटाला के लिए अपनी पार्टी ही टूटने का खतरा पैदा हो गया है। साढ़े चार साल पहले बनी पार्टी पर अब संकट के बादल छाए हुए हैं।

भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब देव ने साफ कर दिया था कि चुनाव में भाजपा-जजपा के साथ नहीं चलेगी। बावजूद इसके दुष्यंत भाजपा हाईकमान के साथ संपर्क में रहे और गठबंधन में खटपट चलती रही।

पिछले एक साल से भाजपा और जजपा दोनों ही दल-एक दूसरे पर गठबंधन तोड़ने का ठीकरा फोड़ने की कोशिश में थे। दोनों ही दल चाह रहे थे, पहले दूसरी पार्टी गठबंधन तोड़े तो वह जनता में जाकर बात को सहानुभूति के तौर पर भुना सकेंगे लेकिन कोई भी दल अगुवाई नहीं करना चाह रहा था। एक दिन पहले ही सोमवार को गुरुग्राम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मनोहर लाल की मुलाकात के बाद गठबंधन तोड़ने पर मुहर लग गई। मोदी की मंजूरी मिलते ही मनोहर मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया और गठबंधन टूट गया। जजपा ने भी दिल्ली में अपने विधायकों की बैठक बुलाई लेकिन पांच विधायक वहां नहीं पहुंचे और वह नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण में शामिल हुए।

अपनी ही पार्टी में घिरते गए दुष्यंत
साढ़े चार साल पहले दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया था और जेजेपी को 11 विभाग दिए गए थे लेकिन दुष्यंत चौटाला तमाम विभाग अपने पास रखे। अनूप धानक को राज्यमंत्री के तौर पर शामिल किया गया। इससे पार्टी के अन्य विधायकों में नाराजगी बढ़ गई। पार्टी में बढ़ते विरोध को देखते हुए देवेंद्र बबली को बाद में मंत्री बनाया गया। नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम और नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा खुलकर इस बात की मुखाफत करते रहे लेकिन दुष्यंत चौटाला विधायकों की नाराजगी दूर करने में कामयाब नहीं रहे।

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