2000 में जम्मू पहुंचने पर चंदौली निवासी जयप्रकाश के बैग से कुछ कारतूस मिले थे। पूछताछ में वह न तो अपना नाम और न ही कारतूसों के बारे में बता पाया। इसके बाद उसे जेल में डाल दिया गया था। 22 साल बाद जयप्रकाश की पहचान हुई तो उन्हें जेल रिहा किया गया। बुधवार को अपने घर पहुंचा।
जम्मू की जेल में 20 वर्ष से सजा काट रहे चंदौली के कमालपुर निवासी मुरली जायसवाल के पुत्र जयप्रकाश जायसवाल 22 साल बाद जमानत मिलने के बाद बुधवार सुबह 7.30 बजे घर लौट आए। घर वापसी पर ग्राम प्रधान सुदामा जायसवाल सहित अन्य ग्रामीणों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। वहीं उनको सकुशल देख उनके लकवाग्रस्त पिता की खुशी से आंखें भर आईं।
जमानत मिलने के बाद जम्मू जेल से सोमवार को उन्हें रिहा कर दिया गया था। वर्ष 2000 में चंदौली से ट्रेन में भूलवश चढ़कर जम्मू पहुंचे मानसिक रूप बीमार जयप्रकाश को क्या पता था कि उन्हें अपने घर वापस जाने के लिए 22 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इस समय वे 62 वर्ष के हो गए हैं।
जयप्रकाश जब जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, तो उनके पास से मिले बैग से पिस्तौल के 34 कारतूस मिले थे। इसके बाद रेलवे पुलिस ने जयप्रकाश को हिरासत में ले लिया था। पूछताछ में जयप्रकाश अपनी पहचान तक नहीं बता सके। इस कारण कभी कोर्ट में मामला नहीं चला। ऐसे में वह 22 वर्ष तक जेल में ही बंद रहे। अब कोर्ट की फटकार के बाद रेलवे पुलिस, जेल प्रशासन और कुछ वकीलों के सहयोग से जयप्रकाश की रिहाई संभव हो सकी। उसके बैग में किसने कारतूस रखे। इसका पता आज तक नहीं लग पाया।
मां की हो गई मौत, पिता हो गए लकवाग्रस्त
करीब 22 वर्ष पूर्व पिता के साथ आइसक्रीम बेच रहे जयप्रकाश गायब हो गए थे। परिजनों ने उनकी काफी खोजबीन की पर पता नहीं चला। वहीं बेटे की याद में तड़पती मां बीमार हो गई और उसकी मौत हो गई। पिता को भी बेटे के गायब होने का गम सताता रहा। पिता मुरली भी लकवाग्रस्त हो गए।
पिछले दिनों जम्मू जीआरपी प्रभारी की ओर से धीना थाने पर भेजी गई सूचना के आधार पर ग्राम प्रधान ने जम्मू पहुंच कर जयप्रकाश से मुलाकात की और उनकी जमानत के प्रयास में जुट गए। वकील इरफान खान ने जमानत की पैरवी शुरू की। बीते सोमवार को उनको जमानत मिल गई। इसके बाद बुधवार की सुबह 7.30 बजे वे जम्मू से कमालपुर अपने घर पहुंचे।