पुरोला की घटना : कुछ ऐसे सवाल छोड़ गई जिनका जवाब कोई नहीं……

पुरोला उत्तरकाशी का सच कुछ लोगों के लिऐ कड़वा हैं। कुछ लोगों के लिऐ कार्य योजना का हिस्सा हैं। कुछ लोगों के लिऐ मुसलमानों का घर बार छोड़ कर चले जाना हिंदुओं की विजय जैसा हैं। मगर इन शब्दों में तो साज़िश की बू आती है।

” उत्तरकाशी तो एक झांकी हैं ।
सारा भारत अभी बाकी हैं ।”

क्या होगा अगर मुसलमान पुरोला से चले जाएंगे। क्या फिर भी बहन बेटियों की इज्ज़त की कुछ हिफाज़त हो सकेगी। पुरोला वा पूरे जौनसार बावर क्षेत्र से कुछ ही दिन बाद एक बेटी के साथ अन्याय करते हुऐ चार हिंदू लड़के पुलिस ने पकड़े। क्या वह जौनसार बाबर की इज्जत अजमत नही थी। लव जिहाद तो एक छलावा मात्र इस्तेमाल किया गया। इस प्रकरण की पोल पट्टी तो वरिष्ठ पत्रकार श्री त्रिलोचन भट्ट जी ने खोल दी। उसके बाद सच्चाई पीड़ित लड़की के मामा जी ने बता दी। अब कौनसा सियासी वा सामाजिक बहाना बचता है। असल बात यह है कि इस सामाजिक परिवेश में हमने अपने बच्चों की शादियों को मुश्किल बना दिया हैं और इसके लिऐ हमारा सारा समाज जिम्मेदार हैं। महंगी शादी, दहेज़, कन्यादान, दावते और ज्यादा से ज्यादा दिखावा हमारी आज की शादियों का हिस्सा हैं। वक्त पर शादी नही होगी तो यह सब हालात होंगे। गरीबों के बेटे बेटी शादी का इंतज़ार करती रहेंगी। उनकी सुध लेने वाले कोई धर्म के ठेकेदार स्वामी दर्शन भारती, प्रबोधानंद महाराज जी, राकेश तोमर और उन जैसे अनगिनत मदद करने नही आयेंगे बल्कि मौका मिलते ही लव जिहाद का नाम देकर धर्म रक्षा करेंगे। धर्म रक्षा यह होती हे कि बहु बेटी घर के आंगन में महफूज रहे और उसकी सारी जरूरत घर की चार दिवारी में पूरी हो।

अंकिता भंडारी अपने घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस दानव समाज के हत्थे चढ़ जाती हैं और अपनी जान दे देती है। मगर क्या उसके पीड़ित परिवार को आज तक भी इंसाफ मिला। या इन धर्म के ठेकेदारों ने वक्त रहते उस परिवार की मदद की। या अंकिता की शादी का कोई इंतेजाम किया। अंकिता भंडारी जैसी लाखो बेटिया नौकरी की आड़ में इस दानव समाज के हत्थे चढ़ जाती है कुछ का पता लग जाता हैं और कुछ गुमनाम कथा बन जाती हैं।

जैसे कि अखबारों में छप रहा है कि 48 लव जिहाद के केस उत्तराखंड में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए हैं इस हिसाब से पूरे भारत में इनकी संख्या बहुत होगी तो क्यों न इस विशालकाय आंकड़ों को सीबीआई या और दूसरी एजेंसीज से जांच करा ली जाए। ताकि पता लगे की कितना दूध है और कितना पानी।
इस झूठे प्रचार प्रसार में मत आएं मेरे हिंदू भाइयों। तुम्हारा वजूद भी तभी हैं जब यह मुस्लिम, ईसाई, एसटी, एस सी, आदि वासी, ओबीसी, सिख, जैन वा पारसी समाज तुम्हारे साथ रहता हैं तभी तुम्हे अपनी कमी को जानने का मौका मिलता हैं और तुम्हारी तरक्की होती हे।

इस देश में न लैंड जिहाद हो रहा हैं और न लव जिहाद। यह एक सामाजिक विसंगति है जो हमारे नेताओं ने संविधान के अनुच्छेद 38 के प्रति अपनी निष्ठा नही दिखाई न ही अपनी संविधानिक जिम्मेदारी को पूरा किया। अब समाज को छिन बिन करने लिए कभी लैंड जिहाद का नाम देते है कभी लव जिहाद का और कभी जन संख्या नियंत्रण।

बहरहाल, सभी वर्ग भारतीय हैं और भारत में ही शांति सौहार्द से रहेंगे। जिन लोगो ने अपराध किया है उनको कानून के हिसाब से सजा मिलनी चाहिए और अगर किसी को बेकसूर फंसाया गया एवं कितनी मुस्लिम लड़कियों से घर वापसी के तहत शादी की गई इस सब की भी जांच होनी चाहिए और उनको सजा मिलनी चाहिए। कानून का दोहरा उपयोग अगर मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की से शादी करे तो लव जिहाद एवं अपराध और अगर हिंदू लड़का मुस्लिम लड़की से शादी करे तो घर वापसी एवं कोई अपराध नहीं। इसी प्रकार अगर हिंदू धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम या ईसाई बने तो मुस्लिम और ईसाई समाज अपराधी और अगर मुस्लिम या ईसाई धर्म परिवर्तन कर हिंदू बने तो घर वापसी एवं कोई अपराध नहीं। यह सब भेद भाव कानून मे हो सकता है मगर अदलो इंसाफ में नही। इसलिए इन सब प्रकरण की इंसाफ के साथ जांच होनी चाहिए

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