मणिपुर में बीते कई से जारी हिंसा पर फिलहाल लगाम लगता लगता नहीं दिख रहा। गुरुवार को इंफाल पश्चिम में हुई हिंसा में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई है। वही खबर है कि बिष्णुपुर जिले में भीड़ ने गुरुवार को कम से कम दो सुरक्षा चौकियों पर तोड़फोड़ की, इस दौरान स्वचालित बंदूकों सहित हथियार और गोला-बारूद लूट लिए गए।
भीड़ ने हेनगांग और सिंगजामेई पुलिस स्टेशनों से भी हथियार और गोला-बारूद जब्त करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनके हमले को विफल कर दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच कौतरुक, हरोथेल और सेंजम चिरांग इलाकों में गोलीबारी हुई। दोनों ओर से हुई गोलीबारी में एक सुरक्षाकर्मी सहित दो लोग घायल हो गए।
इंफाल पश्चिम के मणिपुर पुलिस के एक जवान की मौत हो गई। पास की पहाड़ी शृंखलाओं से कौत्रुक और सेंजाम चिरांग में संदिग्ध आतंकवादियों की आरे से की गई गोलीबारी में एक गांव का स्वयंसेवक भी घायल हो गया।
पुलिस के बयान में कहा गया है, “पिछले 24 घंटों के दौरान, राज्य में स्थिति अभी भी अस्थिर और तनावपूर्ण है, जिसमें विभिन्न स्थानों पर गोलीबारी और अनियंत्रित भीड़ के इकट्ठा होने की छिटपुट घटनाएं हुई हैं।”
मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 जांच चौकियां स्थापित की गई थीं। पुलिस ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में निर्देशों के उल्लंघन के सिलसिले में करीब 1,047 लोगों को हिरासत में लिया गया है। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों के 300 से ज्यादा हथियार और कई राउंड गोला-बारूद लूट लिया।
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।