इसराइल के सामने फिलिस्तीनियों का हौसला! परिणाम जंगबंदी…..

जंगबंदी में फिलस्तीनी किरदार।

हिंद के मुसलमानों फिलस्तीन के लोगों से जीना सीखो, मौत से साए में भी जीना सीखो, संगीनों के साए में अकीदे पर कायम रहना सीखो, इस्लाम की बका के लिए मरना सीखो, पानी न होने पर प्यास से लड़ना सीखो, खाने की कमी में भूखा रहना सीखो, बमों की बारिश में दूसरो की परवाह करना सीखो, अपनो की मौत पर सब्र करना सीखो, मालो को लुटते हुए देखना सीखो, जानो की कुर्बानी देना सीखो और इन हालात में कैसे सब्र किया जाता हैं, दुश्मन से कैसे मुकाबला किया जाता हैं और कैसे दुश्मन को पसपा किया जाता है यह सब तुम्हारे सीखने के लिए है और तुम्हारी नस्लो के लिए दरस।

फिलस्तीन के लोगों पर जितना भी रश्क किया जाए कम है वो ही है जिन से आज के दौर में मुजाहिदा सीखा जा सकता है कि शमशीर के साए में सजदे कैसे लिए जा सकते हैं और करबला की याद को कैसे ताजा किया जाता है

हमारे मुल्क में बाबरी मस्जिद का गिराया जाना इसराइल का एक परीक्षण था जो उन्होंने मस्जिद अक्सा पर आजमाया मगर कुर्बान जाए फिलस्तीन के लोगों का जज्बा हुर्रियत, लाख कोशिशों और बंदिशों के बाद भी फिलस्तीन के एक बच्चे का सर भी नही झुका सके, फिलस्तीन नाबियो की सर ज़मीन हे और इस मिट्टी में इस्लाम के लिए दी हुई कुर्बानी की जड़े बहुत गहरी है इसलिए फिलस्तीन का बच्चा बच्चा कुर्बानी के जज्बे से सरशार है और अपने जिंदा होने का सबूत सारी दुनिया के सामने पेश करता है कि जिंदा कौम का नौजीदा भी मुजाहिद पैदा होता है।

हालिया इसराइल फिलस्तीन की जंग में एक तारीख लिखी गई है कि इसराइल जैसे सुपर पावर कही जाने वाली ताक़त को कैसे पसपा किया जा सकता है जंग बंदी के पहले दिन जिन पच्चीस लोगों को मुजाहिदीन ने वापस किया उनमें बारह थाईलैंड के नागरिक और तेहरा इसराइल के शहरी थे जिनमे बूढ़ी और माज़ूर औरते थीं जो चल भी नहीं सकती थी। उनको इसराइल द्वारा आंतकवादी कहे जाने वाले फिलस्तीन के मुजाहिदीन ने कितनी हमदर्दी से उनको इसराइल के वहशियाना हमलों से बचा कर रखा और कितनी हमदर्दी के साथ उनको अपनी गोद में उठाकर रेड क्रॉस की दूसरी गाड़ी में बैठाया और मदद की यह उनका इस्लामी किरदार काबिल तारीफ और फख्र है। इतिहास गवाह है कि रूमियो ने बैतूल मकदिस पर जब हमला किया तो यहूदियों का ऐसा कत्ल आम किया कि गोद के बच्चो को भी कत्ल कर दिया यही दरिंदगी आज इसराइल मचा रहा और अल शिफा हॉस्पिटल के इनक्यूबेटर में रखे बच्चों की ज़िंदगी की परवाह किए बिना पूरे अस्पताल को ही निशाना बना दिया इंसानियत का एक ही पैमाना है जो दो अलग अलग चश्मों से भी एक ही तरह से देखता है। अभी फिलस्तीन के लोगों के लिए आजमाइश का दौर खत्म नहीं हुआ है क्योंकि अभी दज्जाल के लश्कर की खूनी प्यास नही बुझी है और इन सब हालात में फिलस्तीन के लोगों में सब्र करने की ताकत और ज्यादा मजबूत हुई है। यह मार्का हक़ और बातिल के फैसलाकुन मार्का है और इस में कोई शक नही कि इंशा अल्लाह जीत हक़ की होगी

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