नई संसद को लेकर बोले ओवैसी, यह इमारत भले ही ईंटों से बनी हो, लेकिन…

संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो गया. इस दौरान ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सदन में कहा संसद भवन ने 75 साल का ऐतिहासिक सफर तय किया है. यह देश का दिल है, जो जनता के दर्द को महसूस करता है.
इस दौरान उन्होंने सिख दंगो, बाबरी मस्जिद विध्वंस, भागलपुर हिंसा, मुजफ्फरनगर नरसंहार, टाडा, पोटा, अफस्पा और यूएपीए कानून का जिक्र करते हुए संसद की नाकामी गिनाई. उन्होंने कहा कि अगर हम लोकतंत्र के नियमों पर अमल नहीं करेंगे तो संसद की नई इमारत भी हिटलर की राइज टैग की तरह बन कर रह जाएगी.
संसद से लोगों का कम हो रहा विश्वास :ओवैसी
AIMIM नेता ने कहा, “आज गरीबों, पीड़ितों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के बीच संसद से प्रेम और विश्वास कम हो गया है, इसलिए लोग सड़क पर उतर रहे हैं, क्योंकि अब लोगों को लगता है संसद अब देश का दिल नहीं रहा, बल्कि एक इमारत बन कर रह गई है.”
‘संसदीय लोकतंत्र को हो रहा नुकसान’
उन्होंने कहा कि चाहे किसान आंदोलन हो, नागरिक संशोधन कानून (CAA) को लेकर हुआ प्रोटेस्ट हो या फिर अनुसूचित जनजाति के रिजर्वेशन का प्रदर्शन हो लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. अगर हम संसद को दिल की तरह नहीं रखेंगे तो इससे संसदीय लोकतंत्र को काफी नुकसान होगा.
‘संसद की इमारत में दिल’
AIMIM सांसद ने आगे कहा, “हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा. यह बिल्डिंग भले ही ईंटों से बनी हुई है. मगर यह इस इमारत में दिल है और हमें इसे दिल की तरह की रखना होगा.” उन्होंने कहा कि देश में कुल 14 प्रतिशत मुसलमान हैं, लेकिन संसद में उनका प्रतिनिधित्व केवल 4.8 फीसदी है.
‘संसद में जीतकर आ रहे पैसे वाले लोग’
उन्होंने बीआर आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेज टैक्स बढ़ाने के लिए संसद को बुलाते थे. आज हम उसी रास्ते पर जा रहे हैं. आपने उन्हें सही साबित कर दिया. उन्होंने दावा किया कि आज जिसके पास एक धर्म के लोगों का वोट और पैसे हैं, वही संसद में जीतकर आ रहा है. इससे लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा.