केंद्र सरकार को ED डायरेक्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट से लगे झटके के बाद विपक्ष हमलावर ! अब अमित शाह ने…..

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी… वह केंद्रीय जांच एजेंसी जिसका नाम लेते ही मौजूदा दौर की सियासत में उबाल आ जाता है. इससे जुड़ा एक फैसला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया, जिसपर केंद्र सरकार को घेरा जाने लगा. शाम को गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी पार्टियों पर पलटवार करते हुए ट्वीट भी किया. क्या है ये पूरा विवाद, जिसको लेकर आज राजनीतिक गलियारों में हलचल रही यहां समझिए.

सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और TMC नेताओं ने एक अर्जी दायर की थी. यह अर्जी ईडी के डायरेक्टर को सेवा विस्तार देने के खिलाफ थी. इसपर मंगलवार को सुनवाई हुई.

जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने ईडी के डायरेक्टर संजय मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाए जाने को अवैध कहा. यानी अब ईडी के निदेशक इस महीने की आखिरी तक हट जाएंगे. इसके बाद नए निदेशक की नियुक्ति होगी. अगर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नहीं आता तो मिश्रा नवंबर 2023 तक पद पर रहते.

कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेर लिया. विपक्षी हमलों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ED का निदेशक कौन है इससे फर्क नहीं पड़ेगा और ED अपना काम करती रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी के निदेशक संजय मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार देना पूरी तरह अवैध है. इसके साथ ही कोर्ट ने माना कि संसद को अधिकार है कि वह कानून में संशोधन कर सकती है, उस पर कोई सवाल नहीं उठा सकते.

कौन हैं संजय मिश्रा?

62 साल के संजय मिश्रा 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं. मिश्रा वो ईडी निदेशक हैं जिनके कार्यकाल में ही सोनिया गांधी, राहुल गांधी से ईडी दफ्तर में पूछताछ हुई थी. बाद में कांग्रेस अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी तक से ईडी ने संजय मिश्रा के कार्याकल में ही भ्रष्टाचार के आरोपों में सवाल जवाब किया है.

कब-कब संजय मिश्रा को मिला एक्सटेंशन?

संजय मिश्रा को 19 नवंबर 2018 को ईडी का निदेशक बनाया गया था. ईडी के निदेशक का कार्यकाल दो साल का होता है. लेकिन नवंबर 2020 में संजय मिश्रा का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर तीन साल किया गया. ऐसा अपॉइंटमेंट लेटर में बदलाव करके किया गया था.

फिर नवंबर 2021 में सरकार ने सीबीआई-ईडी चीफ को 1-1 साल के तीन सेवा विस्तार देने वाला अध्यादेश लाई जो बाद में संसद में भी पारित हुआ. फिर नवंबर 2021 में संजय मिश्रा को दूसरी बार और फिर नवंबर 2022 में तीसरी बार सेवा विस्तार सरकार ने दिया.

फैसले पर क्या बोले विपक्षी नेता?

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का बयान आया. वह बोले कि मेरी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार द्वारा ED डायरेक्टर को लगातार दिए गए सेवा विस्तार को पूरी तरह अवैध ठहराया है.

सुरजेवाला ने आगे लिखा, ‘विपक्ष के जरिए लगातार उठती जनता की आवाज को दबाने, राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने और विपक्ष के नेताओं को डरा धमका कर अपनी पार्टी में शामिल कराने के लिए मोदी सरकार जांच एजेंसियों को कैसे बीजेपी के फ्रंटल इकाई की तरह इस्तेमाल करती आ रही है, ये पूरा देश देख रहा है.’

वहीं सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सवाल उठाता है कि एक्सटेंशन क्यों दिया गया. इतना ही नहीं AAP पार्टी ने तो यह भी मांग उठाई कि मिश्रा के कार्यकाल में जो ‘काम’ हुए उनकी जांच की जाए.

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