केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश किया, जिसे 269 वोटों के समर्थन से पारित किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य देश में चुनावों की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है। भाजपा का मानना है कि इस विधेयक के माध्यम से देश का विकास तेजी से होगा, क्योंकि बार-बार चुनाव होने से प्रशासनिक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होती है।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से न केवल सरकारी खर्च में कमी आएगी, बल्कि विकास कार्यों में भी तेजी आएगी। उनका तर्क है कि इससे राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी और सरकारें अपने कार्यकाल के दौरान अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेंगी।हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से क्षेत्रीय मुद्दों और स्थानीय समस्याओं की अनदेखी होगी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी।
विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस विधेयक के माध्यम से अपने राजनीतिक लाभ के लिए संविधान का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह विधेयक केवल भाजपा के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए लाया गया है, और इससे आम जनता की आवाज दब जाएगी।
इस बीच, आज राज्यसभा में भी संविधान पर चर्चा जारी है। विपक्ष ने सरकार पर झूठी बातें फैलाने का आरोप लगाया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने अतीत के कार्यों पर ध्यान देना चाहिए और यह समझना चाहिए कि देश की जनता अब जागरूक हो चुकी है।इस चर्चा में विभिन्न दलों के नेताओं ने अपने-अपने विचार रखे हैं, और यह स्पष्ट है कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर राजनीतिक मतभेद गहरे हैं। अब देखना यह होगा कि यह विधेयक आगे किस दिशा में बढ़ता है और क्या यह अंततः कानून का रूप ले पाएगा।