अब जनसंख्या रिपोर्ट पर विवाद दावे में कहा हिंदू आबादी घटी बिना जनगणना के दावा,! सवालों के घेरे में रिपोर्ट…..

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट बताती है कि 65 साल में हिंदुओं की आबादी में गिरावट हई है। जबकि मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के बाद देश में सियासत गर्म होने लगी है। सियासी गलियारों से लेकर हिंदुओं की पैरोकारी करने वालों के गलियारों में कहा यह जाने लगा है कि अगर हिंदुओं की आबादी कम हो रही है, तो जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की तैयारी की जानी चाहिए।

वहीं, राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अब बचे हुए चुनावों में यह मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठेगा। इसके सियासी नफा-नुकसान का आकलन राजनीतिक गलियारों में किया जाने लगा है। जबकि कुछ लोगों ने ऐसी रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि जब अभी तक जनगणना नहीं हुई है, तो यह आंकड़े कितने आधिकारिक हैं और कितने मान्य हैं। इस पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्ययन के मुताबिक 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी थी, जो 2015 में घटकर 78 फीसदी हो गई है। इस दौरान मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई। अखिल भारतीय संयुक्त हिंदू सनातन महासभा के सचिव आचार्य देवेंद्र शुक्ला कहते हैं कि जिस तरीके की रिपोर्ट्स मीडिया में लगातार चर्चा में हैं वह बहुत ही चिंता का विषय है।

आचार्य शुक्ल के मताबिक अगर हिंदुओं की आबादी इस कदर घट रही है, तो अब केंद्र सरकार को इस पर कड़े फैसले लेने होंगे। वह कहते हैं कि अगर हिंदुस्तान में हिंदुओं की आबादी ही कम हो जाएगी, तो हमारी सनातन परंपरा के ध्वजवाहक फिर कहां ढूंढे जाएंगे। उनका कहना है कि उन्होंने भी मीडिया में ही यह रिपोर्ट पढ़ी है। मुसलमान की बढ़ती हुई आबादी पर उनका कहना है कि अब केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए, ताकि जनसंख्या पर नियंत्रण हो सके।

Share
Now