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मंडावर खनन में खुलेआम उड़ाई जा रही NGT नियमों की धज्जियां! शासन- प्रशासन को गुमराह करने की लिए CCTV….

कैराना।उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में भी खनन माफियाओं के हैं हौसले बुलंद। मंडावर में सरकार द्वारा आवंटित खनन पॉइंट पर एनजीटीओ के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रहे हैं।माफिया तमाम नियम-शर्ते व कायदे-कानून को जूती की नोक पर रखे हुए हैं।खनन प्वाइंटों पर एनजीटी की गाइड लाइन और तमाम नियमों को ठेंगे पर रखकर माफिया दिन-रात युद्ध स्तर पर वैध पट्टों की आड़ में अवैध खनन कर रहे हैं।जेसीबी व पॉर्कलेन मशीनों से यमुना नदी का सीना चीर अवैध खनन का खेल खेला जा रहा हैं।शासन-प्रशासन और खनन विभाग सब जानते हुए भी अंंजान बना हुआ है।

कैराना क्षेत्र के मंडावर में सरकार द्वारा पांच-पांच साल के लिए रेत खनन के पट्टे आवंटित किए गए हैं।खनन माफिया वैध पट्टों की आड़ में युद्ध स्तर पर अवैध खनन का खेल खेल रहे हैं।खनन ठेकेदारों को वैसे तो सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की आवंटित क्षेत्र के अंतर्गत खदान की अनुमति शासन-प्रशासन स्तर पर दी गई है,लेकिन इसके बावजूद भी खनन माफिया अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं।दिन-रात खनन प्वाइंट पर अवैध रूप से जेसीबी व पॉर्कलेन मशीनों से बड़े पैमाने पर रेत खनन का खेल खेल रहे हैं।जिसमें खनन माफिया यमुना नदी से रेत निकालने से बाज नहीं आ रहे हैं।वैध पट्टे की आड़ में माफिया राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपये की राजस्व की हानि पहुंचा रहे हैं।इतना सब कुछ होते हुए भी शासन-प्रशासन और खनन विभाग की चुप्पी पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं।उधर,अब देखना यह है कि प्रदेश की योगी सरकार कैराना क्षेत्र के गांव मंडावर में हो रहे वैध पट्टों की आड़ में अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने में क्या कार्यवाही अमल में लाती हैं,यह तो समय के गर्भ में छिपा है ?

खनन ठेकेदार शासन एवं प्रशासन को कर रहे गुमराह

क्षेत्र के गांव मंडावर में चल रही रेत खदान में जहां ठेकेदार दिन और रात जेसीबी मशीनों से रेत खनन कर रहे हैं। वही ठेकेदारों द्वारा शासन एवं प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है।खनन ठेकेदार द्वारा खदान में लगे कांटे पर लगे कैमरे के सामने डंपर का प्रिंट फोटो लगाकर शासन एवं प्रशासन को गुमराह करने का काम किया जा रहा है।खनन ठेकेदार जहां एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर वैध पट्टे की आड़ में अवैध खनन कर रहे हैं।वही खदान में लगे कांटे और कमरे में झोल-झाल कर शासन एवं प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।वहीं दूसरी और खनन ठेकेदार खदान का ओटीपी बंद होने के बाद भी रेत के भरे डंपरों को खदान से बिना रवन्ना दिए भेज देते हैं।

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