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नये भारत के नए आयाम…

वाह रे मेरे मुल्क के पॉलिसी दाता। कभी गौर तो करो कि तुमने क्या क्या रचा और क्या क्या गठित हो गया। क्या धार्मिक स्वतंत्रता के बगैर लोकतंत्र की कल्पना की जा सकती हैं। आज भारत देश में एक पंथ की वर्चस्वता के लिए तमाम आदर्शों, तमाम मर्यादाओं और तमाम मौलिक अधिकारों को बालाए ताख रखा जा रहा हैं और इस पर हमारे दावा यह कि अमेरिका के बाद हम सबसे शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश हैं। जिन देशों में पूंजीवाद हो वहां कहां समरसता और कहां सामाजिक आजादी। रोजाना देश अमीरों और गरीबों की तराज़ू में तुलता हैं।

इसके अतिरिक्त भी इस भारत देश में बहुत कुछ गठित हो रहा हैं। जैसे कि जुआ खाने, शराबखाने, नाचघर, वेश्यालय और अनाथालय इत्यादि इत्यादि सब कुछ चलने चाहिए। झूठ दर झूठ परोसा जाना चाहिए। रिश्वत, जमाखोरी और मिलावट सब चलनी चाहिए। बस नहीं चलनी चाहिए तो ईमानदारी , नहीं चलनी चाहिए मदरसे की शिक्षा, कुरान की तालीम, आज़ाँ की आवाज, मुसलमानों की दुकान ईसाईयों के गिरजे की टना टन, बौद्धों की बौद्धशाला। कठ मुल्ले हे भाई, मदरसों में बच्चों को आतंकवाद (टेररिज्म) पढ़ाते हैं भाईजान, लैंड जिहाद, लव जिहाद, थूक जिहाद और ना जाने कितने जिहाद करते हैं। बहु बेटी को ले जाते हैं और मार देते हैं इसलिए बदला स्वरूप इनकी लड़कियों को भगवा ट्रैप में फसाओ और घर वापसी कराओ। सरकार भी हमारे पक्ष में और कानून भी हमारे पक्ष में। सब अल्संख्यको को सबक सिखाओ, मुसलमानों को, ईसाईयों को, बौद्धों को, एस सी एस टी, दलित आदिवासी सबको गुलाम बनाओ नम्बर दो शहरी बनाओ, मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था लागू करो और बना डालो हिंदू एकलवाद। अंबेडकरवादी संविधान को बदल डालो और कुछ नया करके दिखाओ नया भारत 2047 बनाओ। क्या परिकल्पना हैं क्या उड़ान है पलक मारते परिंदा। भाई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जो है हमारे पास। यह सब खेल जिससे दज़्जाल खुश होता है और आने वाले वक्त में अपने आपको दुनिया का खुदा कहलाए गा और कुछ को छोड़ कर बाकी सब उसको अपना खुदा मान लेंगे। यह हमारा भारत उस और अग्रसर है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का चमकता हुआ सेहरा भारत के मुकुट पर चमकेगा। चाहे आध्यात्म खत्म हो , मर्यादा खत्म हो, फैमिली लाइफ दरम भरम हो जाए हमने विश्व गुरु बनना है विश्व गुरु बनने के लिए अपने पैरों पर तो खड़ा होना ही पड़ेगा अभी तो अमेरिका, रशिया बहादुर की बैसाखी पर चल रहे हैं। कर्जा इतना है अदा करते करते सांस उखड़ जाती हैं शेयर मार्केट को संभालते हैं तो सोना चांदी नई ऊंचाईयों को छू जाता हैं और फिर रूपया धड़ाम और डॉलर ऊपर, हाथ ही नहीं रखने देता तो फिर यह कर्जा कैसे अदा होगा। क्योंकि रूपया तो पहले 86 के पार है कब 100 पार हो जाए किसको पता है मगर औरंगजेब का मज़ार उखाड़ना है जिसके राज काज में भारत की जमीन मौर्य वंश के बाद सबसे ज्यादा थी। 25% विश्व एक्सपोर्ट में हिस्सा था पर कैपिटा इनकम प्रत्येक व्यक्ति 35000 रुपए थी। अब तो हम आज़ाद हैं बेलगाम हैं कुछ भी कर सिरमौर बन सकते हैं चाहे चीन हमारे घर में आकर बैठ जाए हम चीनी हिंदी भाई भाई का नारा लगाएगे या जाप करेंगे और चैन की बंसी बजाएंगे कर्ज लेने के लिए हमारे सिब्बल स्कोर सबसे ऊपर है। इसलिए खूब कर्ज लेंगे ताकि पड़सी देश श्रीलंका से स्कोरिंग में ऊपर रहें। देश का ताना बाना बिगड़े मगर देश विश्व गुरु बने। मगर नहीं पता इस दुनिया के निज़ाम को चलाने वाला कोई और है सारी उन्नति के बाद भी 7 के ऊपर का भूकंप आ जाता हैं, चमोली में ग्लेशियर टूट जाता हैं और दब जाते हैं बेचारे मजदूर, बसों का खाई में गिरना आम बात है ट्रेन गाहे बगाहे टकरा जाती है और नारियों की असमत सारे राह लुट ली जाती हैं। पॉलिसी दाता जरा इनपर भी कुछ गौर करलेते तो समाज बिखरने से बच जाता। मॉडर्निटी के साथ आत्मसात भी नितांत आवश्यक हैं।

खुर्शीद अहमद सिद्दीकी,
37, प्रीति एनक्लेव माजरा,
देहरादून उत्तराखंड।

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