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यूपी सरकार के दावे की पोल खोल रहा NCRB का डाटा! जाने कितना बढ़ा अपराध का ग्राफ…..

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भले लाख दावे कर रही हो. लेकिन प्रदेश में महिला अपराध के मामलों में कमी नही हो पा रही है. हर साल महिलाओं के साथ अपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही है. महिला अपराध के मामले में बिहार और महाराष्ट्र को भी उत्तर प्रदेश ने पीछे छोड़ दिया है. ये तब के जब सरकार महिला सुरक्षा को लेकर कड़े कानून बनाएं हैं.

हर साल बढ़ रहा महिला अपराध का ग्राफ
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस साल महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा अपराधिक घटनाएं हुईं. जो पिछले दो सालों की तुलना में सबसे अधिक हैं. आंकड़ों के अनुसार यूपी में साल 2020 में 49385 महिला अपराध के मामले दर्ज किये गए थे. वहीं ये आंकड़ा साल 2021 में बढ़कर 56083 हो गया. तो वहीं साल 2022 के आंकड़ों में और जोरदार इजाफा हुआ है. आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 65743 घटनाएं हुईं.

खोखले हुए साबित सरकारी दावे
प्रदेश में महिला आकंड़े उस समय के हैं, जब चार साल से यूपी सरकार प्रदेश में मिशन शक्ति अभियान चला रही है. जिसके तहत थानों में महिला हेल्प डेस्क खोली गई है. साथ ही सुनवाई के लिए निजी केबिन बनाए गए हैं. इसको लेकर सरकार ने महिला विवेचक और महिला सिपाहियों की विशेष नियुक्ति की है. NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में महिलाओं के साथ ब्लैकमेलिंग, दहेज हत्या, नाबालिग के साथ दुष्कर्म, बच्चियों से दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट, वीडियो वायरल, महिलाओं से साइबर अपराध जैसे मामले शामिल हैं.

दहेज हत्या मामलों में हुआ इजाफा
दहेज के लिए महिलाओं की जान लेने वालों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर शामिल है, जबकि बिहार दूसरे नंबर पर है. प्रदेश में दहेज के लिए 2138 महिलाओं की हत्‍या कर दी गई. वहीं मध्‍यप्रदेश में 518, राजस्थान में 451 और दिल्‍ली में 131 महिलाओं की दहेज के लिए हत्‍या कर दी गई.

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