मेरा बेटा अब वापस नहीं आएगा, लेकिन हजारों जिंदगियां बचा गया: बोले शहीद मुदस्सिर के पिता..

मुदस्सिर चार दिन की छुट्ठियां लेकर अपनी बहन की शादी में घर जाने वाले थे. पिता से तीन दिन पहले ही फोन पर बातचीत हुई थी. लेकिन बहन की डोली उठने से पहले ही मनहूस खबर आ गई.

जम्मू कश्मीर के बारामूला एनकाउंटर में शहीद हुए पुलिस जवान मुदस्सिर अहमद शेख को गुरुवार के दिन अंतिम विदाई दी गई. गमगीन महौन के बीच परिजन तिरंगे से लिपटे ताबूत में रखे शहीद के पार्थिव शरीर से लिपटकर रो रहे थे. इस दौरान शहीद के रुआंसे पिता मकसूद अहमद शेख ने अपने आंसू पोंछे और फफक- फफक कर रो रहे घर के दूसरे सदस्यों को ढांढस बंधाया. 

बुजुर्ग पिता मकसूद अहमद ने इस दौरान कहा, बेटे मुदस्सिर की कुर्बानी से वजह से हजारों आदमियों की जान बच गई. हमें पता है कि वह अब कभी वापस नहीं आएगा. हमें और हमारी बिरादरी को फक्र है कि लड़ते-लड़ते बेटे ने जान दे दी, लेकिन आतंकियों को बचने नहीं दिया. शहादत देने वाले पुलिसकर्मी के पिता के फक्र को देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें भर आई और लोगों में जोश भी भर गया.

उरी सेक्टर के रहने वाले शहीद मुदस्सिर के पिता ने कहा कि अगर आतंकी बच जाते तो बड़ी तबाही मचा सकते थे. इसलिए हमें फक्र है कि मुठभेड़ में आखिर वक्त तक लड़ते हुए जांबाज मुदस्सर ने आतंकियों से लोहा लिया और दहशतगर्दों को मारते हुए वीरगति हासिल की. 

पता हो कि बारामूला जिले में बुधवार को अचानक हुई मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद गुट के तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए थे. उत्तरी कश्मीर के क्रीरी इलाके के नाजीभट में हुई इस मुठभेड़ में पुलिस टीम के अहम मेंबर मदस्सर अहमद शेख शहीद हो गए थे.  

इस घटना को लेकर कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विजय कुमार ने ट्वीट किया कि अपने एक साथी के शहीद होने से पुलिस विभाग दुखी है, लेकिन तीन आतंकवादियों को मार गिराना बड़ी सफलता है. IG ने लिखा, ”तीनों आतंकवादी श्रीनगर आकर बड़ा हमला कर सकते थे.”

आईजी ने कहा कि पिछले तीन-चार महीने से आतंकवादी गुलमर्ग के पहाड़ी इलाके में सक्रिय हैं.  हम लगातार उनपर नजर रख रहे हैं.  इस साल अभी तक विभिन्न मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों ने 22 पाकिस्तानी आतंकवादी मार गिराए हैं. 

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