नावकोठी/बेगूसराय/संवाददाता
प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा की गई।इस दौरान दूसरे अशरे की फजीलत जामा मस्जिद के इमाम हाफिज मुहम्मद असगर ने बताया कि यह असरा मगफिरत का है। जिसे मगफिरत का अशरा कहा जाता है। इसमें अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत करता है और उनके दुआओं को कबूल करते हुए उनके गुनाहों को माफ करता है।इसी तरह तीसरा अशरा यानी रमजान माह के अंतिम दस दिन जहन्नम की आग से आजादी के होते हैं। इसलिए सभी को चाहिए कि वह रमजान के दूसरे अशरे में कसरत के साथ कुरआन की तिलावत करें और अल्लाह से मगफिरत की दुआ मांगे।अशरा मतलब दस दिनों का समूह। रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है।पहला अशरा 1 से 10 रमजान तक रहता है, जिसे रहमत का अशरा कहा जाता है। वही दूसरा अशरा मगफिरत का होता है। जो कि 11 रमजान से 20 तक रहेगा।इसके बाद तीसरा और आखिरी अशरा आएगा। 21 से 30 रमजान तक का अशरा जहन्नम की आग से आजादी का होता है।
रमजान का माहे मुबारक चल रहा है। रमजान को तीन अशरों में तकसीम किया गया है।अभी दूसरा अशरा चल रहा है जो कि रहमत का अशरा होता है। मान्यता है कि रमजान के शुरु के 10 दिनों में जो बंदा रोजे रखता है और नमाज पढ़ता हैं तो उस पर अल्लाह की खास रहमत नाजिल होती है।दूसरा अशरा मगफिरत का होता है। यानी दूसरे अशरे में 11 रमजान से 20 रमजान तक अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है। रमजान के दूसरे अशरे की एक मख़सूस दुआ है जो कि रोजाना पढ़नी चाहिए। जो मुसलमान दूसरे अशरे में ये खास दुआ पढ़ता है तो उस पर मौला की खास नज़रे इनायत होती है।इस दौरान बड़ी मस्जिद हसनपुर बागर के इमाम मौलाना फैयाज,जामा मस्जिद नावकोठी के हाफिज मो असगर, हाफिज यासीन,मो सलमान,मो अहमद,मो अमजद,मो रियाज, मोहम्मद नसीम रब्बानी, मोहम्मद जफर इकबाल, मंजूर आलम, फिरोज रशीद,मोहम्मद वहाब,मो रजाक एवं तमाम मुसलमान भाइयों ने तीसरी जुम्मे की नमाज अदा की।
