मुनव्वर राणा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र- अयोध्या नहीं- रायबरेली’ उनकी जगह में बनाई जाए मस्जिद…..

  • मुनव्वर राना ने कहा कि वह शायर रहे हैं और शायरों की तरह ही अयोध्या को देखा है.
  • बाबरी मस्जिद गिर जाने के बाद जिस इंसाफ की उम्मीद थी वह नहीं मिली.
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना अब मजबूरी बन गया है जिसे अब मानना ही पड़ेगा.

उर्दू अदब के शायर मुनव्वर राना अपने कविताअों की वजह से दुनिया भर में जाने जाते हैं. आजकल वो एक बार फिर से चर्चा में है. इस बार वो राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने के बाद से सुर्ख‍ियों में हैं.

राम मंदिर मामले में मुनव्वर राना ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बाबरी मस्ज‍िद के लिए मिली जमीन पर राजा दशरथ अस्पताल बनाए जाने की मांग की है. राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया है लेकिन न्याय नहीं किया.

राणा ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना अब मजबूरी बन गया है जिसे अब मानना ही पड़ेगा.मुनव्वर राणा इतने पर ही चुप नहीं हुए उन्होंने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि इस फैसले से वो दुखी और खफा हैं.

उन्होंने इस दौरान राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाले पूरी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई और एसए बोबड़े के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया था. राणा ने आगे कहा कि राम मंदिर के भूमिपूजन में मुसलमानों को भी भागीदारी दी जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के गिर जाने के बाद जिस इंसाफ की उम्मीद थी वो उन्हें नहीं मिला.

मस्जिद को रायबरेली में बनाने की मांग को लिखा पत्र


मुव्वर राणा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि अयोध्या में दी गई जमीन पर राजा दशरथ के नाम से अस्पताल बनवा दिया जाए, जबकि शिया और सुन्नी बोर्ड जैसी संस्थाओं को खत्म कर दिया जाए क्योंकि ये संस्थाएं मुसलमानों की रहनुमाई नहीं करतीं. ऐसे में देवबंद या दूसरे मुस्लिम मदारीस को साथ लेकर मस्जिद की बात की जाए. मुनव्वर राना ने कहा कि बाबरी मस्जिद को रायबरेली में बनाया जाए.

मस्जिद के लिए मेरे पिता दे देंगे जमीन: सुमैया राना

मुनव्वर आने के बाद अब उनकी बेटी ने भी बयान जारी किया है जिसमें सुमैया ने कहा कि अगर वहां राम मंदिर ही बनाना था तो उसी परिसर में छोटी सी मस्ज‍िद बनने की इजाजत देनी चाहिए थी. लेकिन कोर्ट ने कहा है कि बहुसंख्यक की भावनाओं को देखकर फैसला ले लिया गया. लेकिन न्याय भावनाओं से नहीं साक्ष्य पर आधारित होता है.

सुमैया ने बताया कि उनके पिता का कहना है कि रायबरेली में सई नदी के किनारे मैं मस्ज‍िद के लिए अपनी जमीन दे दूंगा. इस जगह पर ही मौलाना अली मियां की मजार है. मस्जिद की जमीन के लिए मेरे पिता आगे आ रहे हैं. वो इसके लिए पेपर्स तैयार कर रहे हैं, इसके बाद वो केंद्र और राज्य सरकार को पेशकश देंगे. ये उनका देश के मुसलमानों के लिए तोहफा होगा.

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