- कटघर थाना क्षेत्र के भैंसिया गांव में मंगलवार सुबह सनसनीखेज वारदात हुई।
- इमाम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनका शव घर के पास ही खंडहर में मिला है।
- मृतक मौलाना अकरम (36) हैं,वह रामपुर के मसवासी थाना क्षेत्र के रहने वाले थे।
- वह भैंसिया गांव की बड़ी मस्जिद में इमामत करते थे।
- बीते कई वर्षों से वह पत्नी और बच्चों के साथ भैंसिया गांव में ही रहते थे।
मुरादाबाद। कटघर थाना क्षेत्र के भैंसिया गांव में इमाम की सीने में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनका शव घर के पास ही खंडहर में मिला। पुलिस हत्यारोपितों का पता लगाने में लगी हुई है लेकिन, अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
मंगलवार तड़के करीब चार बजे किसी ने गोली मारकर अकरम की हत्या कर दी। मंगलवार सुबह उनका शव घर के पास में ही खंडहर में पड़ा मिला। सुबह जब ग्रामीणों की नजर शव पर पड़ी तो पुलिस को सूचना दी गई। घटना की सूचना पर एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया, सीओ और कटघर पुलिस मौके पर पहुंच गए।
फारेंसिक टीम बुलाकर घटना स्थल पर जांच पड़ताल की। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हत्या किसने और क्यों की यह स्पष्ट नहीं है। एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया ने बताया सुबह भैंसिया गांव में इमाम का शव मिला है। शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।
परिवार वाले किसी भी तरह की रंजिश की बात से इंकार कर रहे हैं। पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। यह भी देखा जा रहा है कि इमाम के पास किन किन लोगों का अधिक उठना बैठना था।
भैंसिया गांव के प्रधान शान अहमद ने बताया कि घटना मंगलवार को तड़के करीब चार बजे की है। इमाम अपने घर की दूसरी मंजिल पर सो रहे थे। तभी उनके पास किसी का फोन आया। उसने घर का बाहर आने के लिए कहा। इमाम जैसे ही दरवाजा खोला और नीचे उतरकर आए हमलावर उन्हें पकड़कर ले गए। आरोपितों ने घर के पीछे एक खंडहर में ले जाने के बाद उनके सीने में गोली उतार दी। गोली लगने के मौके पर ही इमाम की मौत हो गई।
कॉल डिटेल खोलेगी हत्या का राज,
इमाम मोहम्मद अकरम की हत्या का राज उनके मोबाइल फोन में आई आखिरी काल से खुलने की संभावना जताई जा रही है। पुलिस इसका पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मंगलवार को तड़के में हत्या के समय उनके पास किसका फोन आया था। किसने उन्हें फोन करके बाहर बुलाया। इसके अलावा पुलिस उनकी पत्नी आमना को पुलिस चौकी काशीपुर तिराहा ले आई है। उनसे पूरे मामले में पूछताछ की जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि इमाम से किसी की दुश्मनी तो नहीं थी। किन लोगों का उनके पास आना जाना था।