US में मुस्लिमो को लेकर सवाल पर मोदी का जवाब ! हमारा देश संविधान चलता है किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं लोकतंत्र का..

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के दूसरे दिन वह व्हाइट हाउस पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। उनकी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की द्विपक्षीय बातचीत हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान अमेरिकी मीडिया ने भारत में लोकतंत्र, मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल किया।

विदेशी पत्रकार ने पूछा ये सवाल
महिला पत्रकार ने पूछा, ‘लोग कहते हैं भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। बहुत सारे मानवाधिकार संगठन हैं जो कहते हैं कि आपकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती है और अपने आलोचकों को चुप कराती है। जैसा कि आप इस समय यहां व्हाइट हाउस में खड़े हैं, यहां कई विश्व नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। आप और आपकी सरकार मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और वाक्य स्वातंत्र्य (फ्री स्पीच) को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाना चाहेगी?’

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया ये जवाब
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कह रहे हैं कि लोग कहते हैं..लोग कहते ही नहीं, बल्कि भारत लोकतंत्र है। जैसा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी आत्मा है.. लोकतंत्र हमारे रगों में है, लोकतंत्र को हम जीते हैं और हमारे पूर्वजों ने उसको संविधान के रूप में शब्दों में ढाला है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों पर बने हुए संविधान के आधार पर चलती है।’

‘मानवाधिकार नहीं तो लोकतंत्र नहीं’
‘हमने सिद्ध किया है लोकतंत्र उद्धार कर सकता है। जब मैं उद्धार की बात करता हूं तो तब जाति, पंथ, धर्म, लिंग..किसी भी भेदभाव को वहां जगह नहीं होती। जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, तब अगर मानव मूल्य नहीं हैं, मानवता नहीं है, मानवाधिकार नहीं है तो वह लोकतंत्र है ही नहीं। जब आप लोकतंत्र की बात कहते हैं तो उसको स्वीकार करते हैं, उसको लेकर जीते हैं। फिर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इसलिए भारत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के मूलभूत सिद्धातों को साथ लेकर चलता है।’

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