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498A का दुरुपयोग हो बंद! पति, सास-ननदों पर झूठा केस नहीं चलेगा सुप्रीम कोर्ट ने किया केस खारिज….

भारतीय दंड संहिता की धारा 498A और 406 के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सामान्य आरोपों के आधार पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जब तक उसके समर्थन में ठोस साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट या स्वतंत्र गवाह न हों।

एक महिला शिकायतकर्ता (जो स्वयं एक पुलिस अधिकारी हैं) ने अपने पति, वृद्ध सास-ससुर और पांच ननदों के खिलाफ 498A (क्रूरता) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत केस दर्ज कराया था।
आरोप था कि शादी के बाद महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और दहेज की मांग की गई।

लेकिन जांच में पाया गया कि:

कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं थी,

किसी स्वतंत्र गवाह का बयान दर्ज नहीं हुआ,

और ठोस प्रमाण अदालत में पेश नहीं किए गए।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:

🧾 “क्रूरता के गंभीर आरोपों के बावजूद कोई मेडिकल रिपोर्ट, गवाह का बयान या सबूत नहीं हैं।”

🧾 “महज सर्वव्यापी आरोपों के आधार पर दूर के रिश्तेदारों को फंसाना न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग है।”

🧾 “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पुलिस अधिकारी होते हुए शिकायतकर्ता ने आपराधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। वृद्ध सास-ससुर और रिश्तेदारों को झूठे आरोपों में खड़ा करना निंदनीय है।”

🛑 कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

कोर्ट ने पति समेत सभी परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज 498A और 406 IPC के केस को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कहा कि अंधाधुंध मुकदमों से बचा जाना चाहिए और जांच केवल ठोस सबूतों के आधार पर होनी चाहिए।

📌 498A कानून: सुरक्षा या शोषण का माध्यम?

धारा 498A भारतीय दंड संहिता में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी ताकि उन्हें ससुराल में दहेज और प्रताड़ना से राहत मिल सके।
लेकिन पिछले कुछ सालों में यह भी देखा गया है कि इस कानून का इस्तेमाल पारिवारिक विवादों में प्रतिशोध के लिए भी किया गया है, खासकर वृद्ध सास-ससुर और दूर के रिश्तेदारों को परेशान करने के लिए।


न्यायपालिका का संदेश:

“कानून सुरक्षा के लिए है, बदले की भावना से झूठे केस चलाना न्याय का अपमान है।”


निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न सिर्फ न्यायिक प्रणाली को मजबूत करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कानून का दुरुपयोग अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। झूठे मामलों में फंसाए गए निर्दोषों को राहत देने और सच्चे पीड़ितों की रक्षा के लिए न्यायपालिका अब और भी सतर्क हो चुकी है।

नई दिल्ली | तारीख: 11 जून 2025
Team Express News Bharat

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