परिवार से किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाने का कभी दावा करने वालीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को विरासत सौंपने का निर्णय लेने के दौरान पार्टी पदाधिकारियों को सख्त संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि मैंने जब भी किसी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, वह खुद को मेरा उत्तराधिकारी समझने लगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वह इसी तरह पेश आता था। इसी वजह से उपजे कंफ्यूजन को खत्म करने के लिए मैंने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाया है।
दरअसल, मायावती के इस निर्णय के तमाम निहितार्थ भी हैं। वह अक्सर बहुजन समाज से ही किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा भी करती रहीं, लेकिन बीते करीब एक दशक में उन नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया, जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था। स्वामी प्रसाद मौर्या, बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, नकुल दुबे जैसे अधिकतर बसपा के दिग्गज नेताओं ने भाजपा, सपा और कांग्रेस का दामन थामा, जिससे पार्टी को अंदरखाने खासा नुकसान सहना पड़ा
भाजपा में गए अधिकतर नेता अपने साथ उन बसपा नेताओं को भी ले गए, जो कभी सपा को धूल चटाने का काम करते थे। इससे यूपी के साथ पड़ोसी राज्यों में अपनी अलग पहचान बनाने और विधानसभा चुनाव में कई सीटें जीतने वाली बसपा का जनाधार कम होता चला गया। यूपी में चार बार सरकार बनाने वाली बसपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। तमाम नेताओं के दूसरे दलों में जाने से पार्टी के वोट बैंक पर भी असर पड़ा और कभी 28 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने वाली बसपा यूपी में करीब 12 प्रतिशत पर ही सिमट गयी। उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खतरे में पड़ गया।
आनंद की मुश्किलों से आकाश की राह हुई आसान
बसपा सुप्रीमो ने अपने भाई आनंद कुमार को भी नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया था, हालांकि कई वित्तीय मामलों में फंसने की वजह से उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को ही पार्टी की कमान सौंपने का अहम निर्णय लिया है। हालिया विधानसभा चुनाव में आकाश आनंद को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा भी किया। उन्होंने कई बड़ी जनसभाएं करते हुए पार्टी के जनाधार को बढ़ाने का प्रयास भी किया, हालांकि पार्टी को उम्मीद के मुताबिक इन राज्यों में सफलता नहीं मिली।